विशाल भटनागर/मेरठ. पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ की बात की जाए तो मेरठ के हर हिस्से में क्रांति का अध्याय जुड़ा हुआ है. कुछ इसी तरह का वर्णन मेरठ क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम में भी सुनने को मिलता है. ऐतिहासिक तथ्यों का जब आप अध्ययन करेंगे. तब इस बात का उल्लेख देखने को मिलेगा.

दरअसल, बनारस के बाद मेरठ का यह क्षेत्र गांधी आश्रम अपने आप में एक विशाल केंद्र माना जाता था. दिल्ली के पास होने के कारण क्रांतिकारियों को लिए भी यह एक काफी सुरक्षित स्थान हो गया था. जहां वह देश को आजाद कराने की रणनीति तैयार करते थे.

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क्रांतिकारियों के ठहरने का था केंद्र

इतिहासकार डॉ. नवीन गुप्ता बताते हैं कि जेबी कृपलानी द्वारा साल 1920 में क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम की नींव रखी थी. गांधी आश्रम की स्थापना के बाद यहां देश को आजाद कराने वाले क्रांतिवीरों का ठहरने का यह प्रमुख केंद्र बन गया था. वह बताते हैं कि ऐतिहासिक प्रमाण में उल्लेख मिलता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, चौधरी रघुवीर सिंह, सहित विभिन्न ऐसे महापुरुषों क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम में आकर रुकते थे. जहां देश को आजाद कराने की रणनीति तैयार की जाती थी. उसी रणनीति के अनुसार क्रांतिकारी विभिन्न क्षेत्रों में आम जनमानस को जागरूक करने के लिए मुहिम चलाते थे. डॉ. नवीन गुप्ता कहते हैं कि साल 1942 में अंग्रेज भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान क्षेत्रीय गांधी आश्रम प्रमुख केंद्र था.

आंग्रेजों के सितम के बाद भी नहीं दी जानकारी

गांधी आश्रम में कार्यरत कर्मचारी भी क्रांतिकारियों के साथ मिलकर बैठक मे प्रतिभाग करते थे. जब इस संदर्भ में अंग्रेजों को पता चल गया था. तो कर्मचारियों पर अंग्रेजों ने काफी सितम किए थे. लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने अंग्रेजों को जानकारी नहीं दी थी.
.Tags: Independence, Local18, Meerut news, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : August 03, 2023, 16:48 IST



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