टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना बहुत जरूरी है. इसमें बैलेंस डाइट, नियमित व्यायाम और दवाएं शामिल हैं. लेकिन हालिया शोध से पता चला है कि मरीज इन तीनों तरीकों में से किसको ज्यादा अपनाना पसंद करते हैं.
प्राइमरी केयर डायबिटीज नाम की पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में हाल ही में डायबिटीज के मरीजों को तीन तरह के इलाज अपनाने की इच्छा के बारे में पता लगाया गया. इन तीन तरीकों में शामिल थे – हेल्दी डाइट, पर्याप्त व्यायाम और दवाओं का सही सेवन. शोधकर्ताओं ने नीदरलैंड और ब्रिटेन में रहने वाले नए डायबिटीज रोगियों पर ऑनलाइन सर्वे किया. अध्ययन में शामिल मरीजों की औसत आयु 57 साल थी. आधे से ज्यादा मरीज मेटफॉर्मिन दवा ले रहे थे और एक तिहाई ब्रिटेन के रहने वाले थे.
अध्ययन के नतीजे क्या कहते हैं?अध्ययन में शामिल 67 मरीजों में से लगभग आधे ने तीनों में से किसी भी विकल्प को अपनाने की इच्छा जताई. वहीं सिर्फ 6% मरीजों ने तीनों को ही मना कर दिया. अध्ययन में पाया गया कि हेल्दी डाइट तीन चौथाई मरीजों के लिए स्वीकार्य विकल्प था. इतने ही लोग व्यायाम और दवाएं लेने के लिए भी तैयार थे. जो लोग व्यायाम या दवा लेने के लिए ज्यादा इच्छुक थे, उनमें तीनों क्षेत्रों (क्षमता, अवसर और प्रेरणा) में लाइफस्टाइल में बदलाव लाने का ज्यादा स्कोर था. शिक्षा का लेवल, बॉडी मास इंडेक्स (BMI), धूम्रपान या शराब का सेवन, खाने की आदतें या व्यायाम का स्तर – ये सभी चीजें लाइफस्टाइल बदलने की इच्छा से जुड़ी नहीं पाई गईं.
देश के अनुसार भिन्नताअध्ययन में यह भी पाया गया कि हेल्दी डाइट अपनाने के मामले में नीदरलैंड्स के मरीज ज्यादा पॉजिटिव थे. वहीं ब्रिटेन के मरीजों को अक्सर सुझाई गई डाइट पसंद नहीं आई. अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि डॉक्टर की सलाह उन मरीजों को हेल्दी डाइट अपनाने के लिए ज्यादा प्रेरित करती थी जो पहले से ही इसके लिए इच्छुक नहीं थे.
व्यायाम और दवाओं के बारे में क्या पता चला?जो लोग व्यायाम करने के लिए तैयार थे, उनका मानना था कि यह एक आसान विकल्प है. साथ ही, उन्हें व्यायाम के ज्यादा फायदे नजर आए. वहीं व्यायाम करने को तैयार नहीं होने वाले मरीजों ने इसे मुश्किल बताया. दवाओं के मामले में, जो लोग दवा लेने के इच्छुक थे, उनका मानना था कि दवाएं ब्लड शुगर को कम करने में मदद करती हैं. साथ ही, उनके आसपास के कुछ लोगों को भी दवाओं से फायदा हुआ था. दूसरी तरफ, जो दवा लेने को तैयार नहीं थे, उनका मानना था कि वे दवा लेना भूल जाएंगे या इसके ज्यादा नुकसान होंगे.
अध्ययन से क्या सीखने को मिला?अध्ययन से पता चलता है कि हाल ही में टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त ज्यादातर लोग अपनी स्थिति को संभालने के लिए किसी न किसी विकल्प को अपनाने के लिए तैयार हैं. संभवत: ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें अभी तक इन तरीकों के नेगेटिव पहलुओं का अनुभव नहीं हुआ है. अध्ययन में यह भी पाया गया कि हेल्दी खाना या व्यायाम करने की आदतों का निर्माण इस बात पर निर्भर नहीं करता कि मरीज किन मैनेज विकल्पों को अपनाने के लिए तैयार हैं. साथ ही, अध्ययन में यह भी सामने आया कि डाइटरी सिफारिशों को मानने के मामले में अलग-अलग देशों में भी रुझान अलग-अलग थे.



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