आज के दौर में स्मार्टफोन और वीडियो गेम बच्चों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं. मनोरंजन, शिक्षा और कनेक्टिविटी के साधन के रूप में इनका इस्तेमाल बढ़ रहा है, लेकिन इस डिजिटल जुनून का एक अंधेरा पहलू भी है – लत. ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों में कई मेंटल हेल्थ समस्याओं का कारण बन सकता है, जिनमें एग्जाइंटी, डिप्रेशन, एकाग्रता में कमी और यहां तक कि आत्महत्या की प्रवृत्ति भी शामिल है.
कनाडा के मैकगिल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया एक नया अध्ययन बच्चों के लिए चेतावनी का संकेत हो सकता है. अध्ययन में पाया गया कि बच्चों में वीडियो गेम और सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने वाले बच्चों में बड़े होने पर मनोविकृति (psychosis) का खतरा बढ़ सकता है. यह एक गंभीर मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति वास्तविकता से संबंध खो देता है और भ्रम या मतिभ्रम का अनुभव कर सकता है.
1226 बच्चों पर हुआ अध्ययनअध्ययन में 1,226 कनाडाई लोगों को शामिल किया गया, जो 1997 और 1998 में पैदा हुए थे. शोधकर्ताओं ने इन बच्चों की मीडिया की आदतों को ट्रैक किया और फिर 23 साल की उम्र में उनकी मेंटल हेल्थ का मूल्यांकन किया. अध्ययन में पाया गया कि किशोरावस्था में अधिक कंप्यूटर का उपयोग करने वाले लोगों में बड़े होने पर मनोविकृति के लक्षणों का अनुभव होने की संभावना अधिक थी, भले ही उनके बचपन, किशोरावस्था या सोशियो इकोनॉमिक बैकग्राउंड जैसे अन्य फैक्टर को ध्यान में रखा गया हो.
अकेलापन, तनाव या नींद की समस्याअध्ययन के मुख्य लेखक, मनोचिकित्सक डारिया कनेडी-हैरिसन का कहना है कि ज्यादा सोशल मीडिया का उपयोग और मेंटल हेल्थ समस्याओं में एक जैसे रिस्क फैक्टर हो सकते हैं, जैसे कि अकेलापन, तनाव या नींद की समस्या. हालांकि, शोधकर्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि अध्ययन केवल सह-संबंध दिखाता है, कारण और प्रभाव का निर्धारण नहीं करता है. यह संभव है कि मेंटल हेल्थ के साथ समस्याओं वाले बच्चे पहले से ही वीडियो गेम और सोशल मीडिया की ओर आकर्षित होते हैं.
दिमाग का विकास होता है प्रभावितडॉ. कनेडी-हैरिसन ने कहा कि यह भी संभव है कि वीडियो गेम या सोशल मीडिया का ज्यादा उपयोग दिमाग के विकास को प्रभावित कर सकता है, जिससे मनोविकृति का खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने यह भी सलाह दी कि माता-पिता को अपने बच्चों के मीडिया उपयोग की निगरानी करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे विभिन्न प्रकार की एक्टिविटी में संलग्न हों, न कि केवल स्क्रीन पर समय बिताएं.
अध्ययन के परिणाम माता-पिता और हेल्थ-केयर एक्सपर्ट के लिए एक महत्वपूर्ण अनुस्मारक के रूप में काम करते हैं. डिजिटल दुनिया के फायदों का आनंद लेते हुए, बच्चों के बैलेंस जीवन को बढ़ावा देना और स्क्रीन समय को सीमित करना महत्वपूर्ण है.



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