शिशुओं में पीलिया की बीमारी बहुत आम है. हर 5 में से 3 नवजात पीलिया के चपेट में आते हैं. यह बीमारी आमतौर पर पैदा होने के कुछ दिन बाद बच्चों को होती है. ऐसा ब्लड में बढ़े बिलीरुबिन के कारण होता है. आंखों के सफेद भाग का पीला पड़ना नवजात में पीलिया का सबसे आम लक्षण होता है. 
हालांकि अब तक पीलिया की जांच ब्लड टेस्ट के माध्यम से होती थी. लेकिन हाल ही में लखनऊ पीजीआई में स्थापित मेडटेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के निर्देशन में एक ऐसे डिवाइस को तैयार किया गया है, जिसकी मदद से बिना बच्चे के खून का सैंपल लिए ब्लड में बिलीरुबिन के लेवल का पता लगाया जा सकता है. 
ब्लड में कितना होना चाहिए बिलीरुबिन का लेवल
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, औसत, 0.2 और 1.3 मिलीग्राम/डीएल के बीच कुल बिलीरुबिन स्तर बच्चों और वयस्कों के लिए सामान्य माना जाता है. यह लेवल नवजात शिशुओं के लिए थोड़ा अलग होता है. नवजात शिशुओं के लिए सामान्य स्तर 1.0 और 12.0 मिलीग्राम/डीएल के बीच कहीं भी हो सकता है. वहीं जब शिशुओं में बिलीरुबिन का स्तर पहले 48 घंटों में 15 मिलीग्राम/डीएल या 72 घंटों के बाद 20 मिलीग्राम/डीएल से ऊपर बढ़ जाता है तब डॉक्टर इलाज की सलाह देते हैं.
480 नवजातों में किया गया डिवाइस का ट्रायल
मेडटेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर श्याम कुमार ने बताया कि पीलिया टेस्ट के लिए तैयार की गयी बिली श्योर नाम की डिवाइस का ट्रायल 480 नवजात बच्चों पर किया गया है. जिसमें 96 प्रतिशत परिणाम सटीक मिले हैं. जिसके बाद इस डिवाइस को बाजार में लाने की तैयारी शुरू कर दी गयी है.
डिवाइस से कैसे होगी पीलिया की जांच
एक्सपर्ट बताते हैं कि माथे पर इस डिवाइस को लगाते ही बिलीरुबिन के स्तर का पता चल जाएगा. दरअसल, इसमें कुछ ऐसे सेंसर लगे हुए हैं जो माथे को टच करते ही बॉडी में बिलीरुबिन के लेवल को स्कैन कर लेते हैं. यह प्रक्रिया काफी सरल है. हालांकि यह डिवाइस मार्केट में अभी नहीं उपलब्ध है. 
सिर्फ दो सेकेंड में पीलिया टेस्ट
डिवाइस बनाने वाले इंजीनियर जितेश पांडेय ने हिन्दुस्तान अखबार को बताया कि डिवाइस खून में बिलीरुबिन के स्तर को सिर्फ दो सेकंड में जांच करने में सक्षम है. बता दें कि ब्लड टेस्ट में बिलीरुबिन का लेवल पता करने में कुछ घंटे या फिर पूरे दिन तक तक लग जाता है. 



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