रिपोर्ट- मंगला तिवारीमिर्जापुर. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर सत्र न्यायालय ने 31 वर्ष पुराने मामले में 6 पुलिस कर्मियों को दोषी करार दिया है. अपर सत्र न्यायाधीश वायुनंदन मिश्रा ने आरोपी पुलिसकर्मियों को 5-5 साल कैद की सजा सुनाई है. साथ ही उन पर 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है. दरअसल 24 अगस्त 1992 को विंध्याचल थाना क्षेत्र के विरोही गांव में एक 50 वर्षीय महिला को इन पुलिस कर्मियों ने आत्मदाह करने के लिए उकसाया था. जिसके बाद महिला ने मिट्टी का तेल डालकर आग लगा ली थी और उसकी मौत हो गई थी.

वहीं पूरे मामले की जानकारी देते हुए पीड़ित पक्ष से सुभाष तिवारी ने अपने तहरीर में बताया है कि तात्कालिक थानाध्यक्ष अमरेंद्र कांत सिंह के नेतृत्व में कई पुलिसकर्मी 24 अगस्त 1992 को प्रातः 5 बजे उनके घर गए. उस समय उनकी माता जी पूजा की तैयारी कर रही थीं. थानाध्यक्ष ए. के. सिंह ने उनके छोटे भाई भोला तिवारी के बारे में पूछा, जिसपर उनकी माता जी ने कहा कि थोड़ा देर इंतजार कर लीजिए, तब तक परिवार के लोग आ जायेंगे. इससे आगबबूला हुए थानाध्यक्ष अमरेंद्र कांत सिंह ने उनकी 50 वर्षीय मां को गाली देते हुए पीटना शुरू कर दिया और जबरदस्ती खींचकर गाड़ी में बिठाने का प्रयास करने लगा.

आत्मदाह के लिए पुलिस पर उकसाने का आरोपसुभाष तिवारी ने तहरीर में बताया कि उनकी माता जी को यह अपमान नहीं सहा गया. वह इस अपमान की तुलना में मरना उचित समझा. यह बात उन्होंने थानाध्यक्ष को बताया भी लेकिन उन्होंने कहा तू ड्रामा कर रही है,  सच में आग लगाकर दिखा. जिसके बाद उनकी माता जी ने आग लगा ली. यह देखते ही पुलिस वाले उसी स्थिति में उन्हें अपनी जीप में डालकर वहां से भाग लिए. बाद में परिवार के लोगों को सूचना मिली की उनकी माता जी का देहांत हो गया है, शव अस्पताल में है. जिसके बाद सुभाष तिवारी ने इस घटना का शिकायती पत्र उस वक्त उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री प्रेमलता कटियार को दिया और न्याय की मांग की. मंत्री प्रेमलता कटियार ने यूपी के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा. जिसके बाद सीबीसीआईडी को मामले की जांच मिली.

जानिए क्या थी सीबीसीआईडी की रिपोर्टसीबीसीआईडी ने अपने विवेचना में अभियुक्तगण अमरेंद्र कांत सिंह, संबरू यादव, सुरेंद्र नाथ राय, राम अचल ओझा, राम सिंहासन सिंह, दिलीप राय, दीना नाथ सिंह व दिनेश बहादुर सिंह के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य पाते हुए धारा 193, 218, 467, 468, 471, 120बी व 20 एनडीपीएस एक्ट के तहत आरोप पत्र प्रेषित किया. सीबीसीआईडी ने अपने जांच में यह पाया कि पुलिसकर्मियों ने सुनियोजित साजिश के तहत भोला तिवारी के घर पर छापा मारा, जिसमें भोला तिवारी अपने घर से भागने में सफल रहा. सीबीसीआईडी ने ऐसा माना की पुलिस बल स्वयं गांजा लेकर भोला तिवारी के घर गई थी और न्यायालय में आरोप पत्र प्रेषित किया जिसे न्यायालय में सही पाया गया.

कोर्ट ने सजा का सुनाया फैसलाइस मामले में सीबीसीआईडी ने 2009 में आरोप पत्र दाखिल किया था. आरोपी संबरू यादव की आरोप पत्र दाखिल होते ही मृत्यु हो गई थी. वहीं अभियुक्त विश्वनाथ सिंह व अरविंद कुमार सिंह को न्यायालय ने पहले ही बरी कर दिया था. अपर सत्र न्यायाधीस (एडीजे कोर्ट नंबर 2) वायुनंदन मिश्रा ने 6 पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई. जिसमें अमरेंद्र कांत सिंह, सुरेंद्र नाथ राय, राम अचल ओझा, राम सिंहासन सिंह, दीना नाथ सिंह व दिनेश बहादुर सिंह को एनडीपीएस एक्ट के तहत पांच-पांच वर्ष का कठोर कारावास एवं प्रत्येक को पचास-पचास हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Mirzapur newsFIRST PUBLISHED : April 02, 2023, 11:56 IST



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