सिर्फ महिलाओं का शरीर ऐसा है जो बच्चे को जन्म दे सकता है.  लेकिन यह नेचुरल प्रक्रिया बहुत सारे डिसकंफर्ट, पेन, बॉडी चेंजेज और सैक्रिफाइस से जुड़ा होता है. हालांकि प्रेगनेंसी से संबंधित इन सच्चाइयों को हर कोई जानता है, पर फिर भी प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक स्टडी में हुआ खुलासा चौंकाने वाला है.
अध्ययन में पाया गया है कि गर्भावस्था महिलाओं में उम्र को तेजी से बढ़ा देता है. यह उन महिलाओं के लिए खासकर लागू हो सकता है जो कम उम्र में ही मां बन जाती हैं.  

स्टडी में 1735 महिलाएं थी शामिल
यह स्टडी न्यूयॉर्क के कोलंबिया यूनिवर्सिटी के मेलमैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने फिलीपींस में रहने वाली 1735 महिलाओं पर किया गया. इन महिलाओं के प्रजनन इतिहास और डीएनए सैंपल की जांच की गई. इस अध्ययन के माध्यम से यह पता लगाया गया कि बच्चे पैदा करने का महिलाओं के शरीर पर क्या असर होता है.  
प्रेगनेंसी के बाद बढ़ गया बायोलॉजिकल एज
अध्ययन में शामिल 825 युवा महिलाओं पर शोध से यह पता लगा कि हर प्रेगनेंसी के साथ महिला की जैविक उम्र यानी की बायोलॉजिकल एज दो से तीन महीने तक बढ़ सकती है. छह साल तक इन महिलाओं की निगरानी की गई और पाया गया कि जितनी ज्यादा बार महिलाएं प्रेग्नेंट हुईं उनकी बायोलॉजिकल उम्र उतनी ही तेजी से बढ़ी.
क्या होती बायोलॉजिकल एज
एक इंसान की दो उम्र होती है. पहला क्रोनोलॉजिकल एज- यह व्यक्ति के अस्तित्व से जुड़ा होता है. यानी की आप जितने समय जिंदा रहे वह आपकी क्रोनोलॉजिकल एज है. दूसरा बायोलॉजिकल एज- यह बताती है कि आपकी कोशिकाएं यानी की सेल्स कितनी पुरानी हैं.
ये चीजें बनी कारण
अध्ययन में शामिल पुरुषों, यानी पिताओं में यह असर नहीं देखने को मिला. इससे यह अनुमान लगा सकते हैं कि यह असर सिर्फ गर्भावस्था या स्तनपान से ही जुड़ा हुआ है.
कम उम्र की महिलाओं पर ज्यादा असर
कोलंबिया एजिंग सेंटर के रिसर्च वैज्ञानिक कैलन रयान ने बताते हैं कि “हमारे अध्ययन से पता चलता है कि गर्भावस्था जैविक उम्र को बढ़ा सकती है और यह असर कम उम्र में ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली महिलाओं में ज्यादा स्पष्ट दिखाई देता है. हमारा ये अध्ययन पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें समय के साथ महिलाओं की गर्भावस्थाओं की संख्या में बदलाव और उनकी जैविक उम्र में बदलाव के बीच संबंध स्थापित किया गया है.”



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