वैज्ञानिकों ने हाल ही में हमारे दिमाग में एक अनोखी कचरा साफ करने वाली प्रणाली की खोज की है. यह प्रणाली नींद के दौरान ज्यादा एक्टिव हो जाती है और दिमाग के टिशू से सभी अनवॉन्टेड चीजों और मलबे को बाहर निकाल देती है. सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में इस प्रणाली के काम करने के तरीके को उजागर किया है. साथ ही, उन्होंने हर रात कम से कम आठ घंटे की नींद लेने के महत्व पर बल दिया है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, हमारा दिमाग टिशू की समस्याओं को सुलझाने और चीजों को याद रखने में मदद करने के लिए एनर्जी और ईंधन का उपयोग करता है. इस प्रक्रिया के दौरान, कुछ प्रकार का मलबा पीछे रह जाता है. जब हम सोते हैं, तो एक प्रक्रिया शुरू होती है जो दिमाग के टिशू से इस मलबे को हटाने का काम करती है. न्यूरॉन्स रिडमिक तरंगों का उपयोग करके दिमाग के टिशू के माध्यम से सेरिब्रोस्पाइनल फ्लूड  को गति प्रदान करने में मदद करते हैं, इस प्रकार इसके साथ ही मलबे को भी बाहर निकाल देते हैं. इस प्रक्रिया को ग्लिम्फैटिक प्रणाली कहा जाता है. यह मलबा नसों के पास स्थित चैनलों के माध्यम से बाहर निकल जाता है.
अतः यदि हम नियमित रूप से अपने दिमाग से कचरा निकालना चाहते हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम हर रोज कम से कम आठ घंटे की नींद लें. वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोध दल ने हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा कि न्यूरॉन्स दिमाग की सफाई के लिए प्रमुख आयोजक के रूप में कार्य करते हैं.
अध्ययन कैसे किया गया?वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग के लिए जेनेटिक रूप से बदले हुए चूहों का इस्तेमाल किया. इन चूहों को न्यूरोनल एक्टिविटी को खत्म करने के लिए तैयार किया गया था ताकि दिमाग के टिशू में कोई कचरा न बने. यह देखा गया कि इन जेनेटिक रूप से बदले हुए चूहों में धीमी ब्रेन तरंगें देखी गईं, जो बाद में पूरी तरह से गायब हो गईं. चूंकि ग्लिम्फैटिक प्रणाली चालू नहीं हुई, इसलिए मेटाबॉलिज्म गंदगी को साफ करने के लिए तरल पदार्थ को गति नहीं दी गई. इससे यह स्पष्ट हो गया कि दिमाग के स्व-सफाई चक्र को काम करने के लिए न्यूरॉन्स का एक्टिव होना आवश्यक है.
दूसरी ओर, गैर-जेनेटिक्स रूप से बदले हुए चूहों में मेटाबॉलिज्म गंदगी को निकालने के लिए तरल पदार्थ को ट्रांसफर करने के लिए तेज तरंगें देखी गईं. शोध दल ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि क्यों उसी विषय पर पिछले अध्ययनों में समान परिणाम नहीं आए. उसी अध्ययन में शोध दल ने कहा कि हमने यहां जिन प्रायोगिक पद्धतियों का उपयोग किया है, वे दिमाग के पैरेन्कामा (दिमाग का मुख्य टिशू) को तेज डैमेज से काफी हद तक बचाते हैं, जिससे न्यूरोडायनेमिक और दिमाग की सफाई पर आगे के अध्ययनों के लिए मूल्यवान रणनीतियां प्रदान होती हैं. यह खोज नींद के महत्व को और रेखांकित करती है. पर्याप्त नींद न लेने से दिमाग का कचरा साफ नहीं हो पाएगा, जिससे मेमोरी, सीखने और समस्या-समाधान क्षमता में कमी आ सकती है.



Source link