सनन्दन उपाध्याय/बलिया : सोहन लाल द्विवेदी की कविता है “लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती”. पढ़ाई करके सफलता पाने के लिए मैंने क्या कुछ नहीं किया. किसानी, मेहनत और समय-समय पर मित्रों से कर्ज लेकर पढ़ाई पूरी की. परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय थी. इस करण शुरुआती पढ़ाई गांव से शुरू हुई. अंत में लगा जैसे जीवन में केवल असफलता ही लिखी है और मेरे पास केवल निराशा ही बचेगी. लेकिन हिम्मत नहीं हारी और अंततः सफलता मिली. आमतौर पर दो-चार बार असफलता मिलने के बाद जो लोग हार मान जाते हैं उन्हें शायद यह पता नहीं होता कि अगले पायदान पर सफलता उनका इंतजार कर रही है. ये बातें बलिया के जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने कही. आइए जानते हैं क्या है इनकी सफलता का राज…

डीएमओ (DMO) सुनील कुमार यादव बताते हैं कि कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई पूरी हुई. जीवन में कई बार असफलता मिली. मैं लगभग हर मान चुका था लेकिन किसी प्रकार हिम्मत जुटा कर एक बार फिर मैने यूपी लोक सेवा आयोग का परीक्षा दी और मैं सफल हो गया. शायद असफलता के अंधेरे में मेरी सफलता छिपी हुई थी.

गांव से शुरू हुई पढ़ाईसुनिल कुमार यादव ने आगे कहा कि आजमगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलो दूर ग्रामीण अंचल में मेरा घर है और वहां पर उचित शिक्षा की व्यवस्था नहीं थी. गांव की प्राइमरी से हमारी पढ़ाई शुरुआत हुई. गांव से ही हाई स्कूल किया. उसके बाद राष्ट्रीय इंटर कॉलेज जौनपुर से इंटर किया. यूजी और पीजी राष्ट्रीय पीजी कॉलेज जमूहाई से ही पूरी हुई. सन 2012 में बीएड इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया.

खेतों में करना पड़ता था कामसुनिल कुमार यादव ने कहा कि पढ़ाई के दौरान ही जब गांव में रोपनी या फसल की कटनी होती थी तो उस समय हम लोग आकर खेतों में काम करते थे ताकि घर की आर्थिक स्थिति सही हो ताकि पढ़ाई में कोई समस्या न हो. परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय थी. इसलिए मैंने सेना में जाने का सपना देखा था लेकिन कलर ब्लाइंडनेस के कारण असफल हो गया.

तनाव और असफलता के बीच हुआ चयनसुनिल कुमार यादव ने कहा कि जब सेन में भर्ती होने का सपना टूटा तो मैं तनावग्रस्त हो गया था. उसके बाद मैं पीसीएस की तैयारी करने लगा. लगातार असफलता के कारण परिवार समाज का दबाव आने लगा. सफलता मिल नहीं रही थी इसी बीच 2010-11 में समीक्षा अधिकारी की भर्ती आई. जिसमें फिर एक बार मैंने हिम्मत जुटा कर पढ़ाई शुरू की. अंत में सफलता मिली और 6 जनवरी 2014 को मेरा सहायक मलेरिया अधिकारी के पद पर चयन हुआ और आज मैं जिला मलेरिया अधिकारी के रूप में कार्यरत हूं. लगभग 10 सालों का अनुभव है.
.Tags: Ballia news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : March 31, 2024, 19:34 IST



Source link