फेफड़ों को हेल्दी रखना बहुत जरूरी है. प्रदूषित हवा के अलावा, हम जो खाते हैं वो भी हमारे फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है. एक नए अध्ययन में पाया गया है कि प्रोसेस्ड फूड से भरपूर डाइट खाने से क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज (सीआरडी) से होने वाली मौतों का खतरा काफी बढ़ सकता है.
यूरोपियन जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, प्रोसेस्ड खाने की चीजों में पोषण की मात्रा बहुत कम होती है और इनमें जरूरी एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे पोषक तत्व भी नहीं पाए जाते हैं. अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों के डाइट में 40% से ज्यादा मात्रा में प्रोसेस्ड फूड शामिल थे, उनमें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से होने वाली मौत का खतरा 26% ज्यादा था. सीओपीडी एक फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें हवा का फ्लो ब्लॉक हो जाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है.
फेफड़ों का कैंसर का खतराअध्ययनकर्ताओं ने पाया कि प्रोसेस्ड खाने से भरपूर डाइट फेफड़ों से जुड़ी अन्य बीमारियों जैसे फेफड़ों का कैंसर, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, इम्फायसीमा और दमा का खतरा भी 10% बढ़ा देता है. शोधकर्ताओं ने 1999 से 2018 के बीच अमेरिका में 96,000 से ज्यादा लोगों के डाइट संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया.
प्रोसेस्ड फूड से डायबिटीज का भी खतरा ज्यादाअध्ययन के मुख्य लेखक टेफेरा मेकोनेन ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि जिन लोगों ने सबसे ज्यादा प्रोसेस्ड खाना खाया, उनकी उम्र आम तौर पर कम थी, उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) ज्यादा था और उन्हें डायबिटीज, इम्फायसीमा और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा भी ज्यादा था. साथ ही, उनके खाने की कुल क्वालिटी भी कम थी. अध्ययन में चिप्स, चॉकलेट, लॉलीपॉप, बिस्कुट, प्रोसेस्ड मीट, फ्राइड चिकन और कोल्ड ड्रिंक्स को प्रोसेस्ड खाने की चीजों के तौर पर शामिल किया गया.
प्रोसेस्ड फूड में अधिक प्रिजर्वेटिव्स और एडिटिव्समेकोनेन ने बताया कि ये खाने की चीजें प्रिजर्वेटिव्स और एडिटिव्स से भरी होती हैं, जो खून में मिलकर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और क्रॉनिक इंफ्लेमेशन बढ़ा सकती हैं, जिससे फेफड़ों की बीमारियां और गंभीर हो जाती हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि ये अध्ययन अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन है, जो ये बताता है कि प्रोसेस्ड खाने का सेवन फेफड़ों की सेहत को कैसे प्रभावित करता है.
उपाय क्या?मेकोनन ने आगे कहा कि हमारे शोध से पता चलता है कि प्रोसेस्ड खाने की मात्रा को कम करने से फेफड़ों की सेहत में काफी सुधार हो सकता है और सीआरडी से होने वाली मौतों का खतरा भी कम हो सकता है. शोध दल का कहना है कि भविष्य में ऐसे शोध की जरूरत है, जिनमें ये पता लगाया जाए कि डाइट फेफड़ों की सेहत को कैसे प्रभावित करता है.



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