उत्तर प्रदेश में मौसम के पारे के साथ सियासत का पारा भी चढ़ गया है. 19 अप्रैल को पहले चरण के लिए होने वाले मतदान के लिए तमाम प्रत्याशियों सहित पार्टियों के स्टार प्रचारकों ने वोटरों को लुभाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रखी है. मैनपुरी यहां की हॉट सीट है. समाजवादी पार्टी की परंपरागत मैनपुरी लोकसभी सीट के चुनाव में मुद्दे नहीं बल्कि विरासत और गारंटी हावी है. समाजवादी पार्टी की जुबां पर मुलायम सिंह यादव और उनकी सियासत है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी के नाम के सहारे चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है. लेकिन जीत के लिए उनके पास अलग ही फंडा है. सपा प्रत्याशी डिंपल यादव मुलायम सिंह यादव की याद दिलाकर लोगों से वोट मांगती हैं, तो बीजेपी प्रत्याशी जयवीर सिंह ‘मोदी की गारंटी’ लेकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं. वे दावा करते हैं कि ‘मोदी की गांरटी’ पर इस बार लोग मैनपुरी में भी भरोसा करेंगे. मैनपुरी में तीसरे चरण में 7 मई को वोट डाले जाएंगे.

मैनपुरी लोकसभा सीट को समाजवादी पार्टी के गढ़ के रूप में जाना जाता है. सपा परिवार के लिए यह सीट बेहद खास है. क्योंकि साल 1996 के बाद से मैनपुरी में लगातार समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार ही जीतते आ रहे हैं. इस सीट से तीन बार मुलायम सिंह यादव ने चुनाव जीता और उनके सीट छोड़ने पर हुए दो बार उप-चुनाव में एक बार उनके भतीजे धर्मेंद्र यादव और एक बार उनके पौत्र तेज प्रताप यादव ने जीत हासिल की. साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव फिर से मैनपुरी से सांसद चुने गए. हालांकि इसके बाद मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया, जिसके बाद हुए उपचुनाव में उनकी बहू डिंपल यादव यहां से सांसद चुनी गुईं. लेकिन इस सीट पर अपनी दावेदारी को सुनिश्चित करने के लिए पिछले कुछ समय में भाजपा ने कड़ी मेहनत की है.

मैनपुरी सीट के संसदीय इतिहास की बात करें तो यहां पर 1952 में पहली बार चुनाव कराया गया और कांग्रेस के खाते (बादशाह गुप्ता) में यह सीट चली गई. 1957 में यहां से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बंशीदास धनगढ़ विजयी हुए. 1962 के चुनाव में फिर से बादशाह गुप्ता को जीत मिली. 1967 में कांग्रेस के नए प्रत्याशी महाराज सिंह मैदान में उतरे और जीत हासिल की. 1971 के चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की. इमरजेंसी की वजह से यहां पर भी कांग्रेस को झटका लगा. 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के रघुनाथ सिंह वर्मा ने यहां से जीत हासिल की. वह 1980 में भी चुने गए. लेकिन 1984 में कांग्रेस को सहानुभूति की लहर का फायदा मिला और बलराम सिंह यादव सांसद चुने गए.

साल 1989 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी नेता और विख्यात कवि उदय प्रताप सिंह जनता दल के टिकट पर चुने गए. वे 1991 में भी यहां से सांसद बने. 90 के दशक में राम लहर चलने के बाद भी बीजेपी को यहां पर जीत नहीं मिली. 1991 से 1999 तक के चुनावों में बीजेपी को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था. इस बीच समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के साथ मैदान में आए और फिर यह सीट मुलायम परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमती रही.

हालांकि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ठाकुर जयवीर सिंह के नामांकन में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के पहुंचने से लोगों में भारी उत्साह है. लोगों की मानें तो मोहन यादव के आने से समाजवादी वोट में सेंघ जरूर लगेगी.

जयवीर सिंह 2022 में मैनपुरी सदर सीट से विधायक चुने गए थे. वर्तमान में वे योगी सरकार में पर्यटन और संस्कृति मंत्री हैं. जयवीर सिंह पुराने राजनीतिज्ञ हैं. उन्होंने 1984 में राजनीति में प्रवेश किया था. 2002 में वह पहली बार विधायक चुने गए. 2003 में वे राज्य मंत्री बने. इसके बाद 2007 में भी वे विधानसभा चुनाव जीतकर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री बने. वे पहले कांग्रेस में थे.
.Tags: 2024 Lok Sabha Elections, Dimple Yadav, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Mainpuri News, Samajwadi partyFIRST PUBLISHED : April 15, 2024, 19:58 IST



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