रजनीश यादव /प्रयागराज: गेहूं रबी सीजन की सबसे ज्यादा बोई जाने वाली फसल है. यही कारण है कि इसकी खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है. धान की कटाई के बाद किसान गेहूं की खेती की तैयारी शुरू कर देते हैं. गेहूं की उन्नत किस्मों व वैज्ञानिक विधि से बुवाई कर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है. इसलिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक किसान को गेहूं की खेती की नई जानकारी मिलनी चाहिए जिससे वह गेहूं की अधिक से अधिक उपज कर सकें. किसान कुछ खास बातों का ध्यान रखते हुए गेहूं की फसल को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं.

अपर जिला कृषि अधिकारी विकास मिश्रा बताते हैं कि किसान भाई को कुछ बातों को ध्यान में रखकर गेहूं की बुवाई करनी चाहिए. जैसेखेत की जुताई करते समय पहले कल्टीवेटर का प्रयोग करना चाहिए. उसके बाद ही रोटावेटर या हैरो का प्रयोग करना चाहिए. इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी वह मिक्स हो जाती है. खाद के रूप में अधिकतर प्रयास रहे कि जीवाश्म खादों का प्रयोग हो. इसके अलावा डीएपी पोटाश और यूरिया का प्रयोग कर सकते हैं. किस प्रजाति के गेहूं की बुवाई करनी है यह अपने क्षेत्र के मिट्टी के गुणवत्ता के आधार पर तय करना चाहिए.

क्या होगा सिंचाई का समय

गेहूं के अच्छी पैदावार के लिए इसके फसल की सिंचाई समय अनुसार ही होनी चाहिए. जैसा की पहली सिंचाई 21 दिन बाद जब गेहूं ताजा मूल अवस्था में होती है. इसके बाद थोड़ी मात्रा में यूरिया का छिड़काव करना चाहिए. गेहूं के खेत में लगने वाले गेहुंसा( फ्लैरिस माइनर) और अन्य खरपतवार नासी का उचित प्रबंध करना चाहिए. जिससे यहगेहूं के विकास में बाधा न बने. इस प्रकार के खरपतवारनाशी का प्रयोग पहली सिंचाई के बाद ही होनी चाहिए.

बुवाई का सही समय

गेहूं की बुवाई का सही समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर नवंबर के तीसरे सप्ताह तक होता है. इस समय तक बोई गई गेहूं की फसल अगड़ी खेती में आती है और इसकी पैदावार अच्छी होती है. फिर भी आप नवंबर के अंतिम सप्ताह में और दिसंबर के प्रथम सप्ताह में गेहूं की बुवाई कर रहे हैं तो अपने क्षेत्र की मिट्टी के अनुसार उच्च क्वालिटी का ही गेहूं की प्रजाति चुने. हो सके तो अपनी मिट्टी का जांच नजदीक ब्लॉक में करवा सकते हैं.
.Tags: Hindi news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : November 22, 2023, 09:01 IST



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