भारत में खाने की आदतों में एक दिलचस्प बदलाव सामने आया है. हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि देश में मछली की खपत तेजी से बढ़ रही है. ये बढ़ोतरी न सिर्फ उन इलाकों में देखी गई है जहां परंपरागत रूप से मछली आहार का अहम हिस्सा रही है, बल्कि दूर-दराज के उन इलाकों में भी जहां मछली खाना आम नहीं था. इस वृद्धि को बढ़ती आय, बदलते खानपान और मछली की बेहतर उपलब्धता से जोड़ा जा सकता है.
वर्ल्ड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट, इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) और अन्य सरकारी एवं अंतरराष्ट्रीय निकायों के सहयोग से किए गए इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 2005-06 से 2019-21 के बीच नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) के आंकड़ों का विश्लेषण किया. अध्ययन में पाया गया कि वर्ष 2005-06 और 2019-21 के बीच मछली खाने वालों का अनुपात 66% से बढ़कर 72.1% हो गया है. वहीं, प्रति व्यक्ति मछली की खपत सालाना 4.9 किलो से बढ़कर 8.9 किलो हो गई है. अध्ययन में यह भी पाया गया कि जो लोग पहले से ही मछली खाते थे, उनमें प्रति व्यक्ति खपत 7.4 किलो से बढ़कर 12.3 किलो हो गई है.अध्ययन में बताया गया है कि विश्व बैंक के निम्न-मध्यम आय वाले देशों के समूह में भारत की मछली खपत में वृद्धि दर सबसे अधिक है. हालांकि, प्रति व्यक्ति खपत अभी भी समूह के औसत (2020 में 14.9 किग्रा) से आधे से थोड़ी ही ज्यादा है.
क्यों बढ़ रही है मछली की खपत?अध्ययन में मछली की खपत में वृद्धि के पीछे तीन मुख्य कारण बताए गए हैं:बढ़ती आय: लोगों की आय बढ़ने के साथ ही उनके खानपान में वैरायटी आ रही है. मछली अब सस्ती और सुलभ हो रही है, जिससे लोग इसे अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं.बदलती खाने की आदतें: सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ने के कारण लोग अब अपनी डाइट में पोषक तत्वों को शामिल करने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं. मछली प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और अन्य जरूरी पोषक तत्वों का एक अच्छा सोर्स है, जो लोगों को आकर्षित कर रहा है.मछली की बेहतर उपलब्धता: कूलिंग और परिवहन सुविधाओं में सुधार के कारण अब दूर-दराज के क्षेत्रों में भी मछली आसानी से उपलब्ध हो रही है.
भारत में मछली खपत का भविष्यअध्ययन में यह भी पाया गया कि भारत में मछली की खपत में अभी भी काफी गुंजाइश है. भविष्य में मछली पालन को बढ़ावा देने और मछली की सप्लाई चेन को मजबूत बनाने से भारत में मछली की खपत को और बढ़ाया जा सकता है. यह न केवल लोगों के पोषण लेवल को बेहतर बनाने में मदद करेगा बल्कि मछली पालन से जुड़े लोगों की आजीविका के साधन भी मजबूत होंगे.



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