सुशील सिंह/ मऊ: देश-दुनिया में एक से बढ़कर एक मंदिर स्थापित हैं, जो अपनी मान्यताओं को लेकर एक अलग पहचान रखते हैं. आज हम आपको एक ऐसे मंदिर से रूबरू कराएंगे, जिसकी कहानी भगवान श्रीराम से जुड़ी है. यही नहीं, यह मंदिर देश के पांच सूर्य मंदिरों में से एक है. इस सूर्य मंदिर की भव्यता की बात करें तो यह लाखों लोगों के आकर्षण का केंद्र है. मऊ का ऐतिहासिक सूर्य मंदिर का पौराणिक महत्व है. मंदिर प्रांगण में सूर्य कुंड है. मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं.

सूर्य मंदिर जनपद मुख्यालय से 30 किमी दूर मोहम्मदाबाद तहसील के देवलास गांव में है. मंदिर की महत्ता पूरे देश में प्रचलित है. पुजारी शंभूनाथ मिश्रा का कहना है कि यहां देवल ऋषि तप किए थे. यह मंदिर देवलास में स्थित है. इस मंदिर को राजा दशरथ ने बनवाया था. छठ पर्व पर यहां नहान लगता है, जिसमें भारी भीड़ होती है. महिलाएं छठ पर सूर्य की पूजा करती हैं. यहां का मेला काफ़ी प्रसिद्ध है, जो एक महीना तक लगता है.

बालार्क रूप में विराजमान हैं सूर्यदेवश्रुतियों के अनुसार, देवल मुनि ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति के पुत्र थे, जिनकी यह तपोस्थली रही है. तेत्रा युग में अयोध्या के महाराज दशरथ के राज्य के पूर्वी छोर की सीमाएं यहां लगती थी. भगवान राम अपने वन गमन के दौरान पहले दिन इसी स्थान पर रुक कर विश्राम किए थे और यहीं पर सूर्य की उपासना की थी. इसलिए इस मंदिर को बालार्क सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है. भगवान राम के वन गमन के दौरान पहले दिन यहां रुकने का प्रमाण वाल्मीकि रामायण से मिलता है. भगवान राम तमसा नदी के किनारे के अपने पहले पड़ाव पर रुके. हालांकि श्रुतियों के अनुसार, इस स्थान को पांडव युगीन भी कहा जाता है.

भक्तों की आस्था का केंद्र है मंदिरसमाजसेवी संतोष सिंह ने बताया कि यह प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर को अयोध्या का पूर्वी गेट भी कहा जाता है. यहीं से पहला स्नान शुरू होता है. यहीं से मेला भी शुरू होता है. यहां पर श्रीराम का रात्रि विश्राम था. छठ पर यहां पर स्नान कर श्रद्धालु पूजा पाठ करते हैं. इस मंदिर के 2 किलोमीटर के अंदर किसी दुकान पर कच्चा अंडा, मांस, मछली, दारु शराब नहीं बिकती है. यह मंदिर प्राचीन है.
.Tags: Chhath Puja, Local18, Mau news, Religion 18FIRST PUBLISHED : November 17, 2023, 19:48 IST



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