शाश्वत सिंह

झांसी. बुंदेलखंड में वर्षों से एक ऐसी कुप्रथा चल रही है जिसके बारे में सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी. बुंदेलखंड के आदिवासी और पिछड़े इलाकों में निमोनिया से पीड़ित बच्चों को ठीक करने के लिए उनके शरीर को गर्म सलाखों से दागे जाते हैं. इस कुप्रथा में एक मासूम के शरीर पर गर्म लोहे की सलाख से ओझा के द्वारा दागा जाता है. वो भी इसलिए ताकि वो बच्चा निमोनिया की बीमारी से स्वस्थ हो जाये.

उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. ओमशंकर चौरसिया बताते हैं कि इतने वर्षों बाद भी बुंदेलखंड में यह प्रथा खत्म होती नहीं दिख रही है. एक साल में 10 से 12 ऐसे मामले मेडिकल कॉलेज में आते हैं. यह सिर्फ वो मामले हैं जो गंभीर हो जाने की वजह से मेडिकल कॉलेज लाए जाते हैं. इसके अलावा, कितने मासूम बच्चों को यह यातना झेलनी पड़ती होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.

गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज लाए गए पीड़ित बच्चे 

डॉ. चौरसिया ने बताया कि कुछ समय पहले एक बच्चा मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुआ था. उसके शरीर पर लोहे के छड़ (सरिया) से सात अर्धचंद्र बनाए गए थे. एक अन्य बच्चे की पीठ पर गोल-गोल पांच निशान बनाए गए थे. बच्चे की हालत इतनी गंभीर थी कि उसे वेंटिलेटर पर रखना पड़ा. वहीं, एक अन्य परिवार अपने बच्चे को लेकर पहुंचा था जिसकी पीठ पर ओझा के द्वारा 10 दाग दिए गए थे. इसके बावजूद, जब बच्चे का निमोनिया ठीक नहीं हुआ तो उसे आखिर में उसे मेडिकल कॉलेज लाया गया.

कुप्रथा को रोकने का हो रहा प्रयास

झांसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि ऐसी कुप्रथा को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. सभी स्वास्थ्य केंद्रों और एएनएम से कहा गया है कि अगर उनके इलाके में यह कुप्रथा चल रही हो तो उसे तुरंत रोका जाये. इसके साथ ही मानसिक रोग विभाग की टीम के साथ मिलकर आदिवासी और पिछड़ों इलाकों में दौरा किया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इस कुप्रथा को रोकने की पुरजोर प्रयास किया जा रहा है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Jhansi news, Superstition, Up news in hindiFIRST PUBLISHED : February 03, 2023, 22:03 IST



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