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आशीष त्यागी/ बागपत. बागपत के ढिकोली गांव को सैनिकों का गांव कहा जाता है. यहां प्रत्येक घर से एक व्यक्ति जरूर भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा कर रहा है. आज के समय में भी बड़ी संख्या में इस गांव के युवा सेना में भर्ती होने के लिए तैयारी कर रहे हैं. गांव के बाहर ही शहीद की प्रतिमा है और प्रत्येक घर से देश सेवा में यहां लोग हिस्सा ले रहे हैं.

भूतपूर्व सैनिक मुकेश सिंह ढाका बताते हैं कि बागपत जनपद के बागपत तहसील क्षेत्र के ढिकौली गांव का अपना एक अलग इतिहास है. इस गांव में प्रत्येक घर से सेना में एक और एक से अधिक व्यक्ति देश की खातिर सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे है. यहां के युवा बताते हैं कि हमारे पूर्वज जो कई पीढ़ियां पूर्व और वर्तमान में भी सेना में नौकरी की है और बहुत सारे लोग नौकरी से रिटायर होकर अपने गांव में भी हैं और इन लोगों के हौसले को देखकर हम लोगों को भी देश सेवा की भावना जागृत हो जाती है.

गांव के बाहर लगी हुई है सैनिक की प्रतिमा

गांव में आप जब प्रवेश करते हैं तो गांव के बाहर ही धर्मपाल सिंह की एक प्रतिमा लगी है. गांव के मुख्य द्वार पर देश सेवा करते वक्त शहीद हुए धर्मपाल सिंह का उनकी पत्नी ने गांव के बाहर प्रतिमा बनवाई है. गांव के ये मुख्य मार्ग तब से ही बने हुए हैं और करीब 5 हजार की आबादी का यह गांव है. यहां के हर घर में सेना का नौजवान और रिटायर फौजी मिलते हैं जिसको देखकर लोग अपना सीना गर्व से चौड़ा कर लेते हैं और शान से कहते हैं हम फौजियों के गांव के रहने वाले हैं.

अधिकतर घरों से युवा आज भी कर रहे सेना में भर्ती की तैयारी

गांव से आज भी प्रत्येक घर से सेना में भर्ती होने के लिए युवा बड़ी संख्या में तैयारी कर रहे हैं. गांव में सैनिक भवन भी बना हुआ है, जिस पर सैनिक प्रत्येक भूतपूर्व सैनिक मीटिंग करते हैं और अपनी समस्याओं का मुद्दा उठाते हैं और अपनी सुविधाओं के बारे में भी बात करते हैं. इसीलिए ढिकोली गांव को सैनिकों का गांव कहा जाता है.
.Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : August 11, 2023, 21:53 IST

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