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संजय यादव/बाराबंकी. बाराबंकी जिले में सरकार के द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में करोड़ों के खर्च के बावजूद सुधार नहीं आ रहा है. जिले में हर साल बाढ़ से दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं और सरकार द्वारा बाढ़ से बचाव को लेकर हर साल करोड़ों रुपया खर्च किए जाते है. उसके बावजूद तलहटी में बसे लोग बाढ़ को लेकर चिंतित दिख रहे हैं. क्योंकि मानसून सिर पर हैं और अधिकारियों द्वारा बाढ़ से बचाव को लेकर की जा रही तैयारियां अभी भी पूरी नहीं हो पाई है. लोगों को डर है कि यदि अचानक बारिश शुरू हो गई और सरयू नदी में जलस्तर बढ़ गया तो वह क्या करेंगे. इसी को लेकर तलहटी में बसे लोग बाढ़ को लेकर चिंतित दिख रहे हैं.यूपी के बाराबंकी जिले में हर साल सरयू नदी में आने वाली बाढ़ से जिले की तीन तहसील रामनगर, सिरौलीगौसपुर और रामसनेहीघाट क्षेत्र के तराई में बसे सैकड़ों गांव बाढ़ से प्रभावित होते हैं. इस दौरान इन ग्रामीणों को अपने घरों को छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ती है. हर साल आने वाले बाढ़ को लेकर इन तीन तहसील क्षेत्र के कुछ गांव ऐसे हैं जहां लोग कई सालों से झोपड़ियों में ही रह रहे हैं. लोगों का कहना है कि हर साल बाढ़ से तबाही मचती है पक्के घर भी नदियों में समा जाते हैं. जिसके चलते कुछ ग्रामीण झोपड़ियों में ही अपना गुजर-बसर करते हैं.हर साल करोड़ो रुपए खर्च करती है सरकारवहीं, सरकार ग्रामीणों को बाढ़ से बचाने को लेकर हर साल करोड़ो रुपये खर्च करती है. लेकिन बाढ़ आते ही सरकार द्वारा किए गए इंतजाम नाकाफी साबित होते हैं. जिले में अभी बाढ़ से बचाव को लेकर तैयारियां चल रही है. इधर मानसून भी आने वाला है, इसी को लेकर तलहटी में बसे लोग बाढ़ को लेकर चिंतित हैं. उनका कहना है कि बाढ़ खंड द्वारा कराए जा रहे हैं बाढ़ और कटान की रोकथाम के कार्यों से वो संतुष्ट नहीं है. बाढ़ को रोकने के लिए जो बांध बनाए जा रहे हैं, वे मजबूत ही नही है. हमेशा खानापूर्ति होती रहती है और काम चलता रहता है. जब बाढ़ आती है तो सब बहा ले जाती है..FIRST PUBLISHED : June 18, 2023, 16:19 IST

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