[ad_1]

मथुरा: मथुरा-वृन्दावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने जीवन में इन 13 गलतियों को न करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि अगर जीवन में सफल होना है तो मेरी इन बातों को बहुत ध्यान से सुनना. महाराज जी ने अपने कथन में दो श्लोकों की चर्चा की. जिसमें एक श्लोक में 6 दोष और दूसरे श्लोक में 7 दोष हैं. किसी को कभी भी इन दोषों को अपने अंदर टिकने नहीं देना चाहिए. आइए जानते हैं क्या हैं वह 13 दोष.

पहले श्लोक में पहला दोषजो अपने मुख से अपनी बड़ाई और प्रशंसा करते हैं उसके पुण्य और बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है. उन्होंने कहा कि यह दोष बहुत प्रभावशाली है. दूसरा दोष- जो लोग हिंसा, छल कपट चोरी और गलत तरीके से जल्दी धन कमाने की चाह रखते है उसके पास धन आएगा पर कुछ समय के लिए फिर सब कुछ नष्ट कर जाएगा. तीसरा दोष- जो तनिक सा भी अपमान होने पर बहुत क्रोध करके दूसरे का अपकार करने लगता है यह आपका पतन करा देगा. चौथा दोष- जो लोग दिनभर बेवजह बैठे-बैठे छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करते रहते हैं यह स्वभाव आपकी दुर्गति कर देगा. पांचवा दोष- अगर कोई भाग कर आपके पास आ गया पशु, पक्षी या कोई मित्र अगर उसकी रक्षा नहीं की तो यह भी आपके नष्ट का कारण बनेगा और छठा दोष- निडर और खुश होकर अगर कोई भी मनुष्य पाप करता है तो उसका नाश पक्का है.

रेलवे स्टेशन पर भूख से तड़प रहा था युवक, समाजसेवी ले गए आश्रम, जब पता चली हकीकत… करने लगे सैल्यूट

दूसरे श्लोक का पहला दोषजो लोग संभोग का ही चिंतन करते है और उनका मन सिर्फ संभोग करने में ही लगता है दूसरी स्त्रियों की तरफ काम दृष्टि और भोग भाव से ही सिर्फ देखते हैं उसके पुण्य समाप्त हो जाते हैं साथ ही निश्चित नाश और दुर्गति होनी तय है. दूसरा दोष- किसी के साथ अच्छा व्यवहार और किसी के साथ खराब व्यवहार करने वाला कभी खुश नहीं रहता. तीसरा  दोष- जो सिर्फ यह सोचता है कि सिर्फ मुझे सम्मान मिले ऐसी सोच रखने वाले के सभी पुण्य नष्ट हो जाते हैं. चौथा दोष- जो रुपए देने की बात कहकर मुकर जाते हैं या रुपए देने के बाद दुख मानते हैं ये तुम्हारी दुर्गति का कारण बन जाएगा.

खेत में बनी झोपड़ी से खट-खट के साथ आती थीं अजीब आवाजें, पुलिस ने मारा छापा, अंदर युवक को देखकर चकरा गया दिमाग

प्रेमानंद महाराज ने बताया कैसे करें इन 13 दोषों का त्यागपांचवा दोष- न परिवार को सुख न संसार को सुख दे पाने वाला व्यक्ति जो सिर्फ हर समय धन की चिंता करता है, बस रुपया की ही हर समय चर्चा करने वाला मनुष्य स्त्री या पुरुष कभी खुश नहीं रह सकता. छठा दोष- बालक, स्त्री, असहाय, पागल जो इनकी रक्षा न करके इनकी हानि करता है उसकी दुर्गति निश्चित है. सांतवा दोष- जो अपने घर के बड़े बुजुर्गों के साथ गलत व्यवहार करता है, उसकी दुर्गति निश्चित होगी. प्रेमानंद महाराज ने बताया कि भजन, भागवत प्रथना के बल से इन दोषों का त्याग कर दो जीवन मंगलमय हो जाएगा.
.Tags: Mathura news, Premanand Maharaj, UP newsFIRST PUBLISHED : April 30, 2024, 20:49 IST

[ad_2]

Source link