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संजय यादव/बाराबंकी: अयोध्या में जिस समय राम भक्तों पर फायरिंग हो रही थी ठीक उसी समय बाराबंकी के कार सेवकों पर पुलिस लाठियां भांज रही थी. इस दौरान रामशरण को काफी चोटें आई और आंदोलन के दौरान इनको जेल में डाल दिया गया. जेल से निकलने के बाद भी इनका मन इस तरह राम नाम में रम गया कि यह संत हो गए.

रामशरण दास ने बताया की मुलायम सिंह यादव ने कहा था यहां कोई परिंदा पर भी नहीं मार सकता. उस समय हम लोग हर लाठी पर जय श्री राम का उद्घोष करते थे. विवादित ढांचे का विध्वंस करने में हम भी शामिल थे. बिना इलाज के हम लोगों ने राम नाम जप कर अपना दर्द बांटा. यही नहीं राम प्रसाद गुप्ता के स्थान पर उनका नया नामकरण रामशरण दास हो गया.

रामभक्तों पर पुलिस बरसा रही थी लाठियां

बाराबंकी शहर के बंकी में स्थित हनुमान मंदिर में रह रहे कारसेवक रामशरण दास ने बताया कि हमने राम मंदिर से जुड़े हर आंदोलन और धर्म संसद में हिस्सा लिया और आंदोलन के दौरान पुलिस की लाठियों की मार से उनकी पीठ पर गहरी चोट आई. जिसका दर्द उन्हें अभी तक है. लाठियों की मार के चलते उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट आ गई थी, जिसके चलते आज भी वह चलने-फिरने में लाचार हैं और उनके हाथ-पैर टेढ़े हो गये हैं. उन्होंने बताया कि बड़ेल के पास गोविंद दास के दोनों पांव और हाथ लाठियों की मार से टूट गए थे. उसी आंदोलन में हमारे साथी रहे राम अचल गुप्ता आज इस दुनिया में नहीं हैं. उनके अस्थियों के कलश को लेकर हम पूरे जनपद में घूमे थे.

हर लाठी पर जय श्री राम का उद्घोष

रामशरण ने बताया कि 1992 में हम अयोध्या में गुम्बद की पास वाली बाउंड्री पर थे. लोग कटीली तारों को फांदकर अंदर जा रहे थे. करीब पांच हजार लोगों ने विवादित ढांचे का विध्वंस कर दिया. उस दौरान भी कई लोगों की मौत हुई थी और उनके साथी ईश्वरी दिन के पुत्र के हाथ की हड्डी टूट गई थी. लेकिन फिर भी पुलिस ने किसी को भी चिकित्सालय ले जाने के बजाय जिला कारागार भेज दिया. कारागार में नारेबाजी और बाहर भीड़ बढ़ती देखकर तत्कालीन पुलिस-प्रशासन सुल्तानपुर जिला कारागार सभी को भेज दिया. वहां पहले से ही कार सेवक बंद थे. ऐसे में वहां भी जय श्री राम के नारे लगे तो पुलिस और जेल कर्मियों ने मिलकर लाठियां भांजीं. हम लोग हर लाठी पर जय श्री राम का उद्घोष करते थे. बिना इलाज के हम लोगों ने दर्द राम नाम जप कर बांटा.

अब सपना सच हो गया है

रामशरण दास ने बताया कि 27 दिनों के बाद सुल्तानपुर जेल से उन सभी को सीधे बाराबंकी ना भेज कर गोंडा के रास्ते लाकर छाया चौराहे पर छोड़ दिया गया. अब भव्य राम मंदिर बन गया है. उनका सपना सच हो गया है क्योंकि हमारे साथ के तमाम कारसेवक रामजी को प्यारे हो चुके हैं. उनका कहना है कि अब अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करेंगे, तभी उनके मन को चैन मिलेगा.
.Tags: Ayodhya ram mandir, Barabanki News, Local18FIRST PUBLISHED : January 23, 2024, 12:35 IST

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