[ad_1]

रिपोर्ट-अभिषेक जायसवालवाराणसी: धर्म अध्यात्म का शहर बनारस (Banaras) पूरी दुनियां में मंदिर, घाट और गलियों के लिए प्रसिद्ध है. इस ऐतिहासिक शहर में एक ऐसा अनोखा आश्रम है जहां गायों की ऐसी सच्ची पूजा होती है जैसा पूरी दुनिया में शायद ही कहीं होता हो. गंगा के तट पर बसे रमना गांव के वितरागानंद आश्रम में बीते करीब 98 सालों से चल रही इस गौशाला में पल रही सैकड़ों गायों का कभी भी दूध नहीं निकाला जाता. इन सैकड़ों गायों की बछियां ही इन गायों का पूरा दूध पीती हैं.
यही नहीं करीब 30 बीघे के इस आश्रम में गायों को बांध कर भी नहीं रखा जाता. आश्रम के महंत स्वामी रमेशानंद सरस्वती ने बताया कि स्वामी वितरागानंद सरस्वती ने इस आश्रम की स्थापना 1924 में की थी. उन्हें गायों से बेहद प्रेम था. उस वक्त इस आश्रम में हजारों गाय रहती थीं. मालवीय जी और भी कई अन्य लोग यहां पूजा के लिए आते थे. उस समय से ही यहां गायों का कभी भी दूध नहीं निकाला गया और ना ही उन्हें बांधा गया. उनकी इस परम्परा का निर्वहन आज भी वैसे ही यहां हो रहा है.
भक्त करते हैं गायों के भोजन की व्यवस्थावर्तमान समय में इस आश्रम में करीब 300 गाय और 200 के करीब नंदी (सांड) हैं. दोनों के लिए यहां अलग अलग व्यवस्था है. खास बात ये भी है कि इस आश्रम के व्यवस्थापकों ने आज तक इस गौशाला के लिए कोई भी सरकारी मदद नहीं ली. बल्कि भक्त और गांव के लोग यहां पहुंच कर गायों की सेवा करते हैं. इसके साथ ही उनके भोजन का प्रबंध भी इन्ही भक्तों के दान से होता है. विशेष पर्व पर यहां गायों की पूजा भी की जाती है.
100 सालों से ज्यादा समय तक जिंदा थे स्वामी वीतरागानंदबताते चलें कि स्वामी वितरागानंद नागा साधु होने के साथ ही भगवान शंकर के भक्त भी थे. कहा ये भी जाता है वो 100 वर्ष से ज्यादा समय तक जिंदा रहे और फिर अपनी मर्जी से उन्होंने शरीर त्याग किया था. भक्त बाबा कुमायूं ने बताया कि वो बीते 25 सालों से यहां निस्वार्थ भाव से सेवा के लिए आ रहे हैं. BHU में ड्यूटी के समय के बाद वो यहां आते हैं और गायों की सेवा करते हैं. इन गायों की सेवा से उनको बहुत शांति मिलती है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Gaushala, Up news in hindi, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : November 14, 2022, 09:28 IST

[ad_2]

Source link