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संकेत मिश्रा, लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद (UP MLC Election 2022) चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) जहां ‘दम’ दिखाने की तैयारी में है, वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के सामने उच्च सदन में ‘साख’ बचाने की बड़ी चुनौती है. स्थानीय निकाय की विधान परिषद की 36 सीटों को फतह करने की लड़ाई को 2024 लोकसभा चुनावों के समीकरणों को सेट करने के लिहाज से भी देखा जा रहा है. यूपी चुनाव में दोबारा जीत हासिल करने वाली भाजपा की नजर इस बार विधान परिषद में बहुमत हासिल करने की है.
दरअसल समाजवादी पार्टी का विधान परिषद में बहुमत है. विधान परिषद में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी की 48 सीटें हैं, जबकि बीजेपी की 36 सीटें हैं. हालांकि, समाजवादी पार्टी के 8 एमएलसी अब भाजपा में जा चुके हैं. वहीं, बसपा के एक एमएलसी भी भाजपा में आए हैं. ऐसे में बीजेपी की कोशिश है कि उच्च सदन में भी संख्या बल बढ़ाया जाए, जिससे विधान परिषद में बीजेपी का बहुमत हो.
माना जा रहा है कि आज या कल तक भारतीय जनता पार्टी भी एमएलसी प्रत्याशियों की पहले चरण की सूची जारी कर देगी. यूपी की कोर टीम ने एमएलसी प्रत्याशियों के नाम के पैनल केंद्रीय चुनाव समिति को भेजे हैं, जिन पर आज मुहर लगेगी. वहीं सपा ने कई प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है.
सपा सरकार के दौरान मुलायम सिंह यादव कार्यकाल में 2004 में हुए चुनाव में सपा 36 में 24 सीटों पर काबिज हुई थी. बसपा के पास एक भी सीट नहीं थी. 2010 में इन सीटों पर चुनाव हुए तो बसपा सत्ता में थी. उसने 36 में 34 सीटें जीतकर लगभग क्लीन स्वीप किया था. इसके बाद फरवरी- मार्च 2016 में अखिलेश यादव के सीएम रहते चुनाव हुए तो सपा 31 सीटें जीत गई. इसमें 8 सीटों पर निर्विरोध जीत भी शामिल थी, जबकि पहले सपा केवल एक सीट जीती थी.

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