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लखनऊ/प्रयागराज. यूपी पुलिस ने दो महिला सिपाहियों के जेंडर चेंज यानी लिंग परिवर्तन की इजाजत की मांग को मंजूर करने का फैसला लिया है. डीजीपी ऑफिस ने महिला सिपाहियों के जेंडर चेंज की मांग को मंजूर करने की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है. मंजूरी देने के लिए दोनों महिला सिपाहियों का मेडिकल टेस्ट कराया गया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली महिला सिपाही नेहा सिंह चौहान के दो मेडिकल टेस्ट हो चुके हैं. लखनऊ के एसजीपीजीआई और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में नेहा सिंह का मेडिकल टेस्ट हुआ है वहीं एक अन्य महिला सिपाही अनामिका सिंह का मेडिकल टेस्ट केजीएमयू में कराया गया है. हालांकि दोनों सिपाहियों के मेडिकल परीक्षण की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है. मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद दोनों महिला सिपाहियों को जेंडर चेंज यानी लिंग परिवर्तन करने की मंजूरी मिल जाएगी.

महिला सिपाहियों ने अपने वकील को मेडिकल टेस्ट कराए जाने की जानकारी दी है. जेंडर चेंज करने की इजाजत दिए जाने की मांग को लेकर महिला सिपाही नेहा सिंह चौहान की तरफ से दाखिल की गई अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज ही सुनवाई होनी थी लेकिन दोपहर के बाद जज के नहीं बैठने की वजह से आज होने वाली सुनवाई टल गई. अब 23 नवंबर को इस मामले में सुनवाई होगी. 23 नवंबर को होने वाली सुनवाई में यूपी सरकार को जवाब दाखिल कर कोर्ट को फैसले की जानकारी देनी होगी.

यूपी सरकार की इस बारे में नियमावली बनाए जाने के बारे में भी कोर्ट को जानकारी देनी होगी. कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर डीजीपी को महिला सिपाही की अर्जी पर निर्णय लेने का आदेश दिया था. इसके साथ ही यूपी सरकार को इस बारे में नियमावली बनाने को भी कहा था. हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जाने पर नाराजगी भी जताई थी. जस्टिस अजीत कुमार की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हो रही है.

गोंडा में तैनात महिला कांस्टेबल नेहा सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 18 अगस्त के आदेश में यूपी के डीजीपी को नेहा सिंह की याचिका पर फैसला लेने को कहा था साथ ही 2 महीने में फैसला लेकर हाईकोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया था. इसके अलावा यूपी के चीफ सेक्रेटरी को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आधार पर सूबे में नियमावली बनाए जाने के भी आदेश दिए गए थे. हाईकोर्ट ने 18 अगस्त के आदेश में कहा था कि लिंग परिवर्तन कराना संवैधानिक अधिकार है. अगर आधुनिक समाज में किसी व्यक्ति को अपनी पहचान बदलने के इस अधिकार से वंचित किया जाता है तो वह सिर्फ लिंग पहचान विकार सिंड्रोम कहलाएगा.

कोर्ट ने कहा है कि कभी-कभी ऐसी समस्या बेहद घातक हो सकती है क्योंकि ऐसा व्यक्ति विकार, चिंता, अवसाद, नकारात्मक छवि और किसी की यौन शारीरिक रचना के प्रति नापसंदगी से पीड़ित हो सकता है. यदि इस तरह के संकट को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक उपाय असफल हो जाते हैं तो सर्जिकल दखलअंदाजी होनी चाहिए. महिला सिपाही नेहा सिंह की तरफ से कोर्ट में कहा गया था कि वह जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित है, जिससे वह खुद को एक पुरुष के रूप में पहचानती है. वह सेक्स री असाइनमेंट सर्जरी कराना चाहती है. इसके लिए उसने डीजीपी ऑफिस में 11 मार्च को अर्जी दी थी लेकिन उसकी अर्जी पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में लिंग पहचान को व्यक्ति की गरिमा का अभिन्न अंग माना गया है. अदालत ने कहा था कि यदि यूपी में ऐसा नियम नहीं है तो राज्य को केंद्रीय कानून के मुताबिक अधिनियम बनाना चाहिए.
.Tags: UP news, UP policeFIRST PUBLISHED : October 18, 2023, 20:16 IST

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