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UP Election: यूं तो देश के 5 राज्यों यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, लेकिन लोगों की सबसे ज्यादा निगाह यूपी के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) पर लगी है. यूपी चुनाव में पल-पल की सियासी चाल, नेताओं की कदमताल, दलबदल के खेल, चुनावी मुद्दे, नेताओं की बात, सियासत की बिसात पर किसकी होगी जीत, किसे मिलेगी मात, इन सब पर सबकी नजर है. इस चुनावी चकल्लस की भोपाल में भी चर्चाएं आम हैं. चाय की दुकान पर खड़े हों या ठेले या किसी दुकान पर, एक सवाल कहीं से उठेगा, ‘क्यों खां, यूपी में ये क्या चल रिया है.’ भोपाल ही क्यों, मध्यप्रदेश में जिसे देखिए वह कोरोना के बढ़ते खतरे या यूपी चुनावों की ही बात करता मिलेगा. चलिए अलग-अलग अंदाज में इस चुनावी बतकही से हम आपको भी रूबरू कराते हैं.
चलिए आज की ही बात करें, उधर कांग्रेस के दिग्गज, केन्द्रीय मंत्री रहे और यूपी में कांग्रेस के स्टार प्रचारक आरपीएन सिंह (RPN Singh) ने कांग्रेस छोड़ी तो एक रेस्तरां में टीवी देखते हुए एक भोपाली भाई मियां ने शोले फिल्म की स्टाइल में सवाल दागा…, ‘तेरा क्या होगा रे कांग्रेस.’ यह सुनते ही माहौल में ठहाके गूंज उठे. दूसरी तरफ से जवाब आया क्या होगा, कुछ नईं होगा. कांग्रेस यूपी में गोवा का प्रयोग करे. प्रियंका गांधी यूपी चुनाव का टिकट पाने वाले सारे उम्मीदवारों को गंगाजल हाथ में लेकर राम कसम खिलाफ खिलाए कि जीतेंगे या हारेंगे, पर हाथ का साथ नहीं छोड़ेंगे…एक बार फिर ठहाके गूंजे..कुछ सिर सहमति के साथ हिले.
कांग्रेस का तारा टूट गया

बता दें कि यूपी चुनाव के ऐन पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा, जब मंगलवार को उस रसूखदार नेता आरपीएन सिंह ने भी ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद की तरह कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया, जो कांग्रेस की बड़ी ताकत माना जाता था. इस चुनाव में कांग्रेस ने आरपीएन को स्टार प्रचारक भी बनाया था, लेकिन खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे या कहें कि सियासत की धार देख रहे आरपीएन सिंह ने ‘कमल-दल’ थामा लिया.
यूपी चुनाव की उठापटक हर जुबां पर

यूपी की उठापटक के बीच जब दोपहर में भोपाल की एक चाय दुकान पर हम पहुंचे तो आरपीएन सिंह के भी जाने की चर्चा चल रही थी. एक व्यक्ति जोर से बोला…अब तिरा क्या होगा रे कांग्रेस. इस पर दूसरा शख्स बोला कुछ नईं होगा. इन लोटों के इधर-उधर लुढ़कने से कांग्रेस जैसी पार्टी का कुछ नहीं बिगड़ेगा. प्रियंका गांधी का ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का नारा और 40 फीसदी महिलाओं को टिकट का पैंतरा कांग्रेस को बड़ी सफलता देगा. एक अन्य शख्स कहता है कि ‘लड़की हूं..लड़ सकती हूं’, का नारा क्या खाक काम करेगा, जब उस नारे की पोस्टर गर्ल प्रियंका मौर्य ही भाजपा में चली गई है. चुनावी चकल्लस वाली बातचीत में शामिल होता हुआ एक दीगर शख्स बोला- जैसे धंधे का कोई जात या धर्म नहीं होता, वैसे ही राजनीति का भी धर्म-ईमान नहीं होता. अब देखो योगी सरकार के कितने कितने मंत्री, विधायक सपा की साइकिल पर जाकर बैठ गए. बसपा के कितने लीडर लुढ़ककर दूसरी पार्टियों में चले गए. उसूल गए तेल लेने..इनसे उसूलों, धर्म-ईमान की तो बात ही मत करो.
कांग्रेसियों को गोवा स्टाइल में कसम खिलाई जाए

चाय की चुस्कियां लेते हुए अपने बगल में पान चबाते बैठे व्यक्ति से बोला-अरे खां.. मैं तो कै रिया हूं…, यूपी में जिन-जिन को भी प्रियंका ने टिकट दिया है, सबके सबको राम और अल्लाह की कसम खिलाए कि चाए जो हो जाए. कांग्रेस से गद्दारी नईं करूंगा. अब 2017 के चुनाव में गोवा का उदाहरण ही ले लो…, कांग्रेस के 17 विधायक चुनाव जीते थे, उनमें से 15 पार्टी छोड़ गए और भाजपा की सरकार बन गई. अब कांग्रेस वहां चुनाव का टिकट पाने को उनके धर्मस्थलों पर ले जाकर पार्टी न छोड़ने की कसम दिला रही है.
यूपी के हाल तो और भी बुरे

आरपीएन सिंह के छोड़ने और भाजपा में जाने से कांग्रेस को बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि यूपी में कोई गारंटी नहीं है कि टिकट पाने के बाद उसके नेता पाला नहीं बदलेंगे. प्रियंका गांधी इसलिए भी चिंतित हैं, क्योंकि कांग्रेस के घोषित उम्मीदवारों की सूची में जगह पाने वाले आधा दर्जन से ज्यादा नेता दूसरी पार्टियों के संपर्क में हैं. जबकि ये वो सारे नेता हैं, जिनका चयन खुद प्रियंका गांधी की निगरानी में रहते हुए किया गया.
(डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

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