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इटावा/लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के ठीक पहले सियासी दावेदारी जारी है. इस बीच यूपी के औरया जिले की बिधूना विधानसभा के विधायक विनय शाक्य (Vinay Shakya) की विरासत को संभालने को लेकर बेटी और भाई के बीच हो रहा घमासान सुर्खियों में है. हालांकि योगी कैबिनेट में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ वह (विनय) भाजपा से इस्तीफा देकर साइकिल पर सवार हो गए हैं. वहीं, अपने पिता के इस कदम के बाद बेटी रिया शाक्‍य (Riya Shakya) ने क्षेत्र में अपनी चहलकदमी बढ़ा दी है.
वहीं, सपा में जाने से पहले विनय शाक्‍य ‘लापता’ हो गए थे. इसके बाद बेटी रिया ने अपने पिता के अपहरण का आरोप अपने चाचा देवेश और दादी द्रोपदी पर लगाया था. हालांकि औरैया के एसपी अभिषेक वर्मा ने डिप्टी एसपी स्तर के अधिकारियों से मामले की जांच कराई और आरोप बेबुनियाद पाए गये. साथ ही पुलिस ने कहा कि विनय शाक्य अपनी मर्जी से मां और भाई के साथ रह रहे हैं. बता दें कि शाक्‍य करीब साढ़े तीन साल से भी ज्यादा समय से पक्षाघात (पैरालिसिस) बीमारी से जूझ रहे हैं. इस बीच उनकी राजनीतिक विरासत पाने के लिए उनके भाई और बेटी में खींचतान शुरू हो गई. विनय की बीमारी के बाद से ही उनके प्रतिनिधि के तौर पर देवेश ने विधानसभा क्षेत्र में अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी थी. राजनीतिक से लेकर सरकारी कार्यक्रमों में वह प्रतिनिधि के तौर पर शामिल होते रहे. इस बीच रिया ने भी विधानसभा क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी.
‘तोड़ेंगे दम मगर, तेरा साथ न छोड़ेंगे’जिस वक्‍त देवेश अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे थे, उसी वक्‍त विधायक विनय शाक्य ने लोकप्रिय गाने ‘तोड़ेंगे दम मगर, तेरा साथ न छोड़ेंगे’ सुनाते हुए अपनी मां और भाई के प्रति अपने प्रेम का इजहार किया था. वहीं, जब उनसे पूछा गया कि आप किसको चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं तो उन्होंने साथ मौजूद देवेश के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें चुनाव मैदान में उतारने की हामी भरी थी. इस बीच उनकी मां ने कहा कि वह देवेश को विधायक बनते हुए देखना चाहती है. वहीं, देवेश ने कहा कि उनके भाई विनय तीन साल आठ माह पहले बीमार हुए थे, तब से उन्हीं के दिशा निर्देशन में काम कर रहे हैं. आगे भी करते रहेंगे.
विधायक ने बदला पाला, तो बेटी रिया ने दिखाया दम विनय शाक्य ने पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की अगुवाई में समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है. इसके साथ ही यह चर्चा शुरू हो गई है कि अगर विनय शाक्य के भाई देवेश समाजवादी पार्टी से चुनाव मैदान में उतरते हैं तो भाजपा किसे उम्मीदवार बनाएगी. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि भाजपा विनय शाक्य की बेटी रिया पर दांव लगा सकती है. जबकि राजनीतिक विश्लेषक भी मान रहे हैं कि भाजपा हाईकमान इस बात का मंथन और चिंतन करते हुए रिया को सहानुभूति टिकट देकर अपने पाले में कर सकती है.
रिया ने कही ये बात इस बीच रिया ने कहा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी हाईकमान से इस बात के संकेत मिले हैं कि बिधूना विधानसभा सीट से उनके पिता के स्थान पर उनको चुनाव मैदान में उतारा जाएगा. इसके साथ उन्होंने उम्मीद जताई है कि उनके उम्मीदवार बनने के बाद उनकी विजय ठीक वैसे ही होगी जैसे उनके पिता विनय की 2017 के विधानसभा चुनाव में हुई थी. वैसे कार्यकर्ताओं को बिधूना विधानसभा सीट से डॉ. नवल किशोर शाक्य को चुनाव लड़ने की तैयारियों में जुटने के लिए अखिलेश यादव ने निर्देशित किया गया था, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ कई नेताओं के भाजपा में आने से नवल को लखनऊ वापस बुला लिया गया और कुछ दिन इंतजार करने को कहा गया है.
बता दें कि डॉ.नवल किशोर शाक्य स्वामी प्रसाद मौर्य के दामाद और बदांयू से भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य के तलाकशुदा पति हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद की बिधूना विधानसभा सीट इसलिए भी काफी चर्चित मानी जाती है, क्योंकि यह सीट कन्नौज संसदीय सीट के अंतर्गत आती है. जबकि भाजपा से इस्तीफा दे चुके विनय शाक्य समाजवादी बेल्ट में प्रभावी भूमिका में माने जाते है. वहीं, कांग्रेस पार्टी से अपनी राजनीति शुरू करने वाले विनय शाक्य एक समय बसपा प्रमुख मायावती के बेहद भरोसेमंद माने जाते रहे हैं और पहली दफा विनय शाक्य 2002 में तब सुर्खियों में आए थे, जब बिधूना विधानसभा सीट से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धनीराम वर्मा को चुनाव में पराजित कर दिया. इसके बाद वह मायावती के खास बन गए. 2007 में हुए चुनाव में हारने पर विनय शाक्य को मायावती में एमएलसी बना दिया जिसके जरिये उन्‍होंने इस बेल्ट में अपनी धाक और मजबूत कर ली. वहीं, बसपा विनय शाक्‍य को मैपनुरी लोकसभा सीट से मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार चुकी है, लेकिन संसदीय चुनाव में उनको पराजय का सामना करना पड़ा था.
इसके अलावा बिधूना पर 2007 और 2012 में सपा का कब्‍जा रहा, लेकिन 2017 की मोदी लहर में इस सीट से सपा उखड़ गई और कमल खिल गया. 2017 के चुनाव में बीजेपी ने विनय शाक्य को चुनाव में उतारा था और सपा ने दिनेश कुमार वर्मा को. विनय शाक्य को 81905 वोट मिले थे और सपा 77995 वोट हासिल करने में सफल रही थी.

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