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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP News) कई चुनौतियों का सामना कर रही है. एक ओर इसके कई नेता इस्तीफा दे चुके हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे लोगों को टिकट देने का भी दवाब है, जिनके परिवार से पहले ही कोई सांसद है या मंत्री है. स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya News) और दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद भारतीय जनता पार्टी अब फूंक-फूंककर कदम रख रही है, पर मुश्किल है कि कम ही नहीं हो रही. पार्टी से इस्तीफे के दौर को देखते हुए ही जहां 100 मौजूदा विधायकों का पत्ता कटने वाला था, उसकी संख्या अब करीब 40 के आसपास कर दी गई है, फिर भी भाजपा के सामने बड़ी चुनौती है कि आखिर वह यूपी (UP Election) की सियासत के कद्दावर नेताओं की मांग को कैसे मैनेज करेगी.
दरअसल, भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने अपने बेटे के लिए टिकट की मांग रखकर बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है. रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि मेरा बेटा लखनऊ कैंट विधानसभा सीट में 2009 से लगातार काम कर रहा है. वह टिकट की दावेदारी कर रहा है और पार्टी को तय करना है. पार्टी को फैसला लेना है कि उसे टिकट देना है या नहीं. बता दें कि 2017 में भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने परचम लहराया था. हालांकि, रीता बहुगुणा जोशी के सांसद बनने पर रिक्त हुई सीट पर 2019 में उपचुनाव हुआ. इसमें भी भाजपा ने जीत दर्ज की और सुरेश चंद्र तिवारी चौथी बार विधायक बने.
भाजपा से अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट मांगने वालों की फेहरिस्त में कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह भी हैं. सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह ने अपनी पत्नी के लिए बीजेपी से टिकट की मांग की है. राजवीर सिंह खुद भाजपा से लोकसभा सांसद हैं और उनके बेटे विधायक हैं और योगी सरकार में राज्यमंत्री भी हैं. अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भाजपा क्या टिकट दे पाएगी. क्योंकि भाजपा दावा करती रही है कि वह परिवारवाद की राजनीति नहीं करती है और इसी को अपना हथियार बनाकर विपक्ष पर हमला बोलती रही है. ऐसे में भाजपा के सामने चुनौती है कि वह इन दो बड़े नेताओं की मांग से कैसे निपटती है.
यहां ध्यान देने वाली बात होगी कि स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के पीछे भी टिकट का ही मसला बताया गया था. सूत्रों की मानें तो स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे के लिए भी टिकट चाहते थे. स्वामी भाजपा के टिकट पर बेटे को ऊंचाहार सीट से लड़वा चुके हैं, मगर उसमें उनके बेटे को हार मिली थी. स्वामी फिर से इसी सीट से बेटे के लिए टिकट की मांग कर रहे थे, मगर भाजपा टिकट देने के मूड में नहीं थी. इसी कारण से स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा से नाराज चल रहे थे. बता दें कि उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों के लिए सात चरणों में मतदान 10 फरवरी से शुरू होगा. उत्तर प्रदेश में अन्य चरणों में मतदान 14, 20, 23, 27 फरवरी, 3 और 7 मार्च को होगा. वहीं यूपी चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे.

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