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ग्रेटर नोएडा. ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) की पहचान एनसीआर (NCR) क्षेत्र में सबसे हरे-भरे शहर (Green City) के रूप में होती है. सभी प्रमुख रास्तों के किनारे बने ग्रीन बेल्ट इस शहर की हरियाली और खूबसूरती को और चार चांद लगा रहे हैं. इसे और बेहतर बनाने के लिए ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) ने कई कदम उठाए हैं. CEO नरेंद्र भूषण के निर्देश पर प्राधिकरण ने पार्कों में ओपन जिम, ग्रीन बेल्ट के पौधे के नाम पर सड़कों का नाम, सड़कों के किनारे कच्ची जगह पर घास, ग्रीन बेल्ट की नंबरिंग, कंपोजिट टेंडर जैसे कई कदम बढ़ाए हैं.आने वाले दिनों में ग्रेटर नोएडा और भी खूबसूरत और हरा-भरा दिखेगा. अमेरिका के चेरिऑकी हो या जापान का चेरी ब्लॉसम फेस्टिवल या फिर चंडीगढ़ का वसंती मौसम के फूलों का नजारा अब ग्रेटर नोएडा में भी दिखेगा. प्राधिकरण ने ग्रेनो वेस्ट की सोसाइटियों के आसपास की ग्रीन बेल्ट को विकसित करने के लिए करीब 8 करोड़ रुपये के टेंडर जारी किए हैं.ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ग्रेनो वेस्ट की सभी सोसाइटियों के आसपास की ग्रीन बेल्ट को इन जगहों की तर्ज पर विकसित करना चाह रहा है. जैसे चंडीगढ़ में पतझड़ के समय अमलतास, गुलमोहर, कचनार व कुरैसिया के फूलों का मनमोहक नजारा दिखता है. उसी तरह ग्रेटर नोएडा की ग्रीन बेल्ट में इन्हीं पौधों को लगाया जाएगा. हरियाली बढ़ाने और धूल को रोकने के लिए एक और पहल की है. ग्रेटर नोएडा में ओपन ग्रीन एरिया विकसित किया जा रहा है. अब तक 35 से अधिक जगह इसे विकसित किया जा चुका है.अब ग्रेटर नोएडा के पार्क सिर्फ सुबह-शाम सैर तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि खुली हवा में जिम करके फिटनेस को और दुरुस्त रखने में मददगार बन गए हैं. पहल पर करीब 3 साल पहले पार्कों में ओपन जिम की शुरुआत हुई. अब तक करीब 20 पार्कों में ओपन जिम बन चुके हैं. बहुत जल्द ग्रेटर नोएडा वेस्ट के टेकजोन फोर स्थित पार्क में ओपन जिम शुरू होने जा रहा है.ग्रेटर नोएडा के सड़कों की पहचान अब ग्रीन बेल्ट से हो सकेगी. सड़क किनारे जिस तरह के पौधे लगे होंगे, उस सड़क को उस पौधे के नाम से जाना जाएगा. मसलन, डिपो मेट्रो स्टेशन से म्यू की तरफ जाने के लिए बनी रोड के किनारे अमलताश के पौधे लगे हैं. इसलिए इस रोड का नाम अमलताश रोड कर दिया गया है. अभी ग्रेटर नोएडा में सड़कों की पहचान उनकी चौड़ाई से होती है. मसलन, 130 मीटर रोड, 105 मीटर रोड, 60 मीटर रोड आदि.ग्रेटर नोएडा-नोएडा में 500 से अधिक ग्रीन बेल्ट, पार्क व नर्सरी हैं. सेक्टरों में बने पार्कों की पहचान तो उनके नाम और ब्लॉक से हो जाती है, लेकिन ग्रीन बेल्ट की पहचान नहीं हो पाती. उस ग्रीन बेल्ट की लोकेशन पता नहीं चल पाता, जिससे ग्रीन बेल्ट के रखरखाव में परेशानी होती है. इसे देखते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने नियोजन और उद्यान विभाग को इन ग्रीन बेल्ट की नंबरिंग करने के निर्देश दिए. अब तक ग्रेटर नोएडा के पार्कों में अलग-अलग प्रजाति के पौधे लग रहे थे. पौधे के घालमेल से उन पार्कों का लुक अच्छा नहीं हो पाता. सीईओ ने इस परिपाटी को बदलते हुए एक पार्क में एक ही तरह के पौधे लगाए जा रहे हैं. एक सेक्टर में अगर चार पार्क हैं तो हर पार्क में एक विशेष प्रजाति के पौधे लगेंगे, जिससे पार्क की पहचान भी आसान हो जाएगी.ग्रेनो की हरियाली को बढ़ाने के लिए एक और पहल अथॉरिटी ने की है. सड़कों के किनारे नर्सरी की संख्या में तेजी से इजाफा कर रहा है. रोड किनारे बनी नर्सरी में लगे हरे-भरे पौधे व रंग बिरंगे पुष्प दिखते हैं तो बरबस ही लोग इनको खरीद लेते हैं और फिर अपने घर के बालकनी के गमलों में सजाते हैं. इससे घर में भी हरियाली बढ़ रही है.अथॉरिटी के एक और कदम से पार्कों की दशा सुधारने में मदद मिली है, वह है कंपोजिट टेंडर. अब एक साथ कई सेक्टरों को मिलाकर एक यूनिट बनाकर वहां के सभी पार्कों के लिए एक ही टेंडर निकाला जाता है. उन सभी पार्कों की देखभाल के लिए एक ही ठेकेदार को जिम्मेदारी दी जाती है. उस पार्क में जो भी काम होना है, उसे वही ठेकेदार करेगा. अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग ठेकेदार नहीं होंगे.ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अंतर्गत 124 गांव आते हैं. प्राधिकरण ने हर गांव में खेल के मैदान बनाने के लिए जगह चिंहित करने की जिम्मेदारी नियोजन विभाग को दी. नियोजन ने अब तक पांच गांव चिंहित कर लिए हैं. ये गांव पाली, खोदना खुर्द, चुहड़पुर, सैनी व धूममानिक पुर हैं. इनके टेंडर शीघ्र जारी होने जा रहे हैं. इन खेल ग्राउंड में दो बैडमिंटन कोर्ट, वालीबॉल कोर्ट, कबड्डी कोर्ट, रेसलिंग कोर्ट, डेढ़ मीटर चौड़ा रेसिंग ट्रैक, ओपन प्ले ग्राउंड आदि खेल सुविधाएं होंगी. इन खेल ग्राउंड में ओपन जिम की भी सुविधा दी जाएगी.ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे से सिरसा के रास्ते ग्रेटर नोएडा में प्रवेश करने पर आपका स्वागत पुणे के गुलाबी वोगेनवेलिया के फूल और हरे-भरे अशोक के वृक्ष करेंगे. प्राधिकरण ने इस जगह पर पुणे की ग्लैबरा प्रजाति के वोगेनवेलिया के 350 व अशोक के 250  पौधे लगवाए हैं.ग्रेटर नोएडा के सभी गोलचक्करों को निजी सहभागिता (PPP मॉडल पर) से हरा-भरा बनाया जा रहा है. इसके अंतर्गत कंपनी या संस्थान गोलचक्कर को प्राधिकरण से तय समयावधि के लिए ले लेती है. उसे विकसित करेंगी. उतने समय के लिए उनको अपना प्रचार-प्रसार के लिए बोर्ड लगाने का अधिकार होगा. उसके बाद वे प्राधिकरण को हस्तांरित कर देंगी. ग्रेटर नोएडा में अब गोलचक्करों को हरा-भरा बनाने का पैटर्न भी बदल गया है. अब गोलचक्कर के साथ चारों कॉर्नर तो विकसित होते ही हैं, उनके आसपास चारों तरफ 20-20 मीटर की ग्रीन बेल्ट भी विकसित की जाती है. गोलचक्करों के आसपास पहुंचने से पहले ही यात्रियों को हरियाली अलग से दिखे.पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi. हमें Facebook, Twitter, Instagram और Telegram पर फॉलो करें.

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