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नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इन दिनों उमेश पाल हत्याकांड की खूब चर्चा है. इस मामले में अतीक अहमद गैंग का नाम आ रहा है. वैसे अहमद और पालों के बीच लड़ाई वर्षों पुरानी है, जिसकी शुरुआत तब की है जब इस शहर का नाम इलाहाबाद हुआ करता था. यह शहर मिर्जापुर के पास ही स्थित है, जो इसी नाम की वेब सीरिज़ से देशभर में प्रसिद्ध हो चुका है.

अतीक अहमद पर पहले भी पालों पर गोलीबारी के आरोप लगते रहे हैं. 18 साल पहले जनवरी की एक सर्द सुबह, इलाहाबाद (पश्चिम) सीट से बसपा के मौजूदा विधायक राजू पाल की कथित रूप से इस सीट के पूर्व विधायक अतीक अहमद के निर्देश पर दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. गोली मारने वालों में अतीक के भाई अशरफ अहमद और उसके 10 गुर्गों का नाम आया. इस गोलीबारी के वक्त राजू पाल का बचपन का दोस्त उमेश पाल उसके साथ था. वह अपनी जान बचाने में कामयाब रहा और इस नृशंस हत्याकांड का मुख्य गवाह बन गया. हालांकि पिछले हफ्ते प्रयागराज में कथित रूप से अतीक के गुड़ों ने उमेश पाल की भी उसी तरह गोली मारकर हत्या कर दी. इस हत्याकांड से राज्य और योगी सरकार में हड़कंप मच गया था.

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उमेश पाल हत्याकांड में अतीक के तीसरे बेटे का नामउमेश पाल की हत्या के वक्त उसकी सुरक्षा में यूपी पुलिस के दो कर्मी मौजूद थे, जिनमें से एक पुलिसकर्मी की इस गोलीबारी में जान चली गई. यह हत्या ऐसे वक्त हुई अतीक और अशरफ दोनों जेल में बंद हैं. अतीक जहां गुजरात की साबरमती जेल में, तो वहीं अशरफ उत्तर प्रदेश की बरेली जेल में बंद है. अतीक के दो बेटे भी फिलहाल जेल में हैं. कहा जाता है कि इस हत्याकांड में अतीक के तीसरे बेटे असद ने इन शूटरों का नेतृत्व किया है.

उमेश पाल हत्याकांड का CCTV ग्रैब

इस हत्याकांड के बाद सीबीआई ने अतीक और अशरफ के खिलाफ राजू पाल मर्डर केस में अपना प्रमुख गवाह खो दिया, जिसे इस केस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. राजू पाल की हत्या के 18 साल बाद भी इस मामले की सुनवाई कछुआ की रफ्तार से चल रही है और केवल पांच महीने पहले स्थानीय अदालत में आरोप तय किए गए थे.

चुनावी हार से शुरू हुई अदावतअतीक अहमद और राजू पाल के बीच लड़ाई की शुरुआत 2004 में हुई थी. तब 15 साल इलाहाबाद (पश्चिम) से विधायक रहने के बाद अतीक अहमद इलाहाबाद के फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद बना था. इलाहाबाद पश्चिम सीट पर अतीक की काफी धाक थी और उसने उस साल हुए उपचुनाव में अपने भाई अशरफ को यहां से उतारा था. लेकिन राजू पाल के रूप में एक नौसिखिया बसपा के टिकट पर चुनाव जीत गया.

ये भी पढ़ें- उमेश पाल हत्याकांड में बड़ा खुलासा मर्डर में सामने आया ‘बिरयानी’ वाले का नाम, जानिए कौन हैबताया जाता है कि अतीक इस हार को पचा नहीं पा रहा था. इसके बाद 24 जनवरी, 2005 को इलाहाबाद शहर गोलियों की आवाज से गूंज उठा. पता चला कि राजू पाल की हत्या कर दी गई है. इस हत्याकांड की FIR में बताया गया कि अशरफ ने राजू पाल के सिर में गोली मारी थी. कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि अतीक अहमद को तब सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी का आशीर्वाद प्राप्त था.

हत्याकांड के गवाहों का कर लिया अपहरणबसपा सुप्रीमो मायावती ने अगले उपचुनाव में राजू पाल की विधवा पूजा पाल को टिकट दिया, लेकिन अतीक अहमद का ऐसा प्रभाव था कि अशरफ जेल से ही उपचुनाव जीत गया. फिर राजू पाल की हत्या के एक साल के भीतर ही अतीक को जमानत मिल गई थी. इस मामले में हद तो तब हो गई कि जब वर्ष 2006 में राजू पाल हत्याकांड में अदालत की सुनवाई से पहले उमेश पाल और चार अन्य प्रमुख गवाहों का अपहरण कर लिया गया और फिर उन्होंने अदालत को बताया कि इस हत्याकांड में अहमद का हाथ नहीं था. हालांकि बाद में उन लोगों ने यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई कि उन्हें ऐसा कहने के लिए धमकाया गया था. अपहरण के इसी मामले में उमेश पाल पिछले हफ्ते अदालत में गवाही देने गया था, जिसके बाद उसकी हत्या कर दी गई.

वर्ष 2006 में यूपी की सत्ता में मायावती के आने के बाद पाल परिवार की किस्मत बदल गई. पूजा पाल ने वर्ष 2007 में अशरफ को हराकर इलाहाबाद (पश्चिम) सीट से जीत हासिल की और फिर वर्ष 2012 में इसी सीट से अतीक अहमद को हराया. इस दौरान गवाहों को धमकियां मिलती रहीं और पूजा पाल का कहना है कि उन्हें भी कई बार धमकियां मिलीं. फिर वर्ष 2014 में श्रावस्ती लोकसभा सीट से हारने के बाद अतीक का सियासी सितारा अस्त हो गया. तीन साल बाद जब मुलायम सिंह यादव ने कानपुर से अतीक अहमद को टिकट देने की घोषणा की तब अखिलेश यादव इसके खिलाफ अड़ गए और अतीक को अपनी उम्मीदवारी वापस लेनी पड़ी.

सुप्रीम कोर्ट की लड़ाई और सीएम योगी का प्रहारयूपी पुलिस की सीबी-सीआईडी द्वारा की गई जांच के बाद राजू पाल की हत्या का मामला बंद होता दिख रहा था, लेकिन तभी उमेश पाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा दिया. इस मुकदमे की घटनाओं से हैरान होकर सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में यह केस सीबीआई के हवाले करने का आदेश दिया. इसके बाद अतीक की जमानत भी रद्द हो गई.

इस समय तक योगी आदित्यनाथ राज्य के मुख्यमंत्री बन चुके थे और उन्होंने अतीक के साम्राज्य पर नकेल कसने का आदेश दिया. अतीक, अशरफ और अतीक के दोनों बेटों को जेल में डाल दिया गया और पिछले कुछ सालों के दौरान सरकार ने उनकी करीब 1200 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली. अतीक के खिलाफ वर्तमान में विभिन्न अदालतों में 54 मामले चल रहे हैं. वहीं सीबीआई ने राजू पाल मामले में आखिरकार वर्ष 2019 में अतीक, अशरफ और 9 अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी.

अपने बचपन के दोस्त को न्याय दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने वाले उमेश पाल का प्रयागराज की सड़कों पर राजू पाल जैसा ही डरावना अंत हुआ. उत्तर प्रदेश के एक शीर्ष अधिकारी ने लखनऊ से News18 को बताया, ‘यह हताश अतीक और अशरफ द्वारा जेल से साजिश रचने का आखिरी पासा था. उन्होंने इसके साथ ही बहुत अच्छी तरह से अपनी कब्र खोद ली है.’

सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले हफ्ते राज्य विधानसभा में कहा था कि अतीक जैसे माफिया को ‘मिट्टी में मिला देंगे’. इस बीच अतीक के तीसरे बेटे असद की तलाश में पुलिस जुटी हुई है, जिसके बारे में बताया जा रहा है कि उसने ही उमेश पाल के हमलावरों का नेतृत्व किया था. इसके अलावा इस साजिश की तह तक जाने के लिए अतीक और अशरफ से भी पूछताछ की जानी है.

सूत्रों का कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ यूपी में माफिया वार को हमेशा के लिए खत्म करने के इस मामले में ‘एक उदाहरण’ पेश करना चाहते हैं. वे इस बात की ओर इशारा करते हैं कि कैसे गैंगस्टर विकास दुबे ने 2020 में कानपुर की घटना के साथ अपना अंत कर लिया, जब उसने कई पुलिसकर्मियों को गोली मार दी थी.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Ateeq Ahmed, UP newsFIRST PUBLISHED : February 28, 2023, 17:49 IST

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