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मेरठ. सोचिए अगर किसी शख्स ने कभी दिहाड़ी मजदूर करके अपने परिवार का पेट पाला हो और वो शख्स अपनी मेहनत से लखपति बन गया हो तो ये कहानी करोड़ों के लिए कितनी प्रेरणादायक है. मेरठ में आजकल खादी महोत्सव चल रहा है. यहां देश के कोने-कोने से आए आत्मनिर्भर लोगों ने स्टॉल्स लगाए हैं. इन्हीं में से एक हैं सहारनपुर के रहने वाले चंद्रपाल सिंह. चंद्रपाल बताते हैं कि उन्होंने कभी दिहाड़ी मज़दूरी कर परिवार का पेट पाला है लेकिन सरकार की योजनाओं की वजह से उनकी किस्मत बदल गई.

किस्मत यूं बदली कि उन्होंने पहले मशरुम की खेती शुरू की. और फिर इसी मशरुम का अचार बनाने लगे. 2019 से अचार बनाने का कार्य इतना अच्छा चल निकला कि आज की तारीख में वो पंद्रह से बीस किस्म का अचार बनाते हैं. उनका सालाना टर्नओवर बारह लाख का हो गया है. उनके दो बेटे भगत सिंह सुखदेव और बेटी विजयलक्ष्मी भी इसी कार्य में महारथ हासिल कर रहे हैं. कोई मैनेजमेंट देखता है तो कोई मार्केटिंग. एक मज़दूर के लखपति बनने की कहानी सभी को प्रेरित कर रही है.

22 प्रकार का अचार बनाते हैं चंद्रपालदिहाड़ी मजदूर से लखपति बने चंद्रपाल जब अपनी कहानी बताते हैं तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं. वो बताते हैं कि आज की तारीख में वो 22 प्रकार का अचार बनाते हैं. खासतौर से मशरुम का अचार उनकी खासियत है. सरकार की तरफ से भी उन्हें अचार की वजह से सम्मानित किया गया है. आम का अचार कटहल का अचार, मशरुम का अचार, भरुआ मिर्च का अचार. हींग का अचार, आंवले का अचार सहित कुल 22 प्रकार का अचार वो बनाते हैं.

सरकारी अनुदान से बदल गई किस्मतचंद्रपाल बताते हैं कि पैंतीस हजार के सरकारी अनुदान से उनकी किस्मत बदल गई. चंद्रपाल कहते हैं कि सरकारी मदद ने उन्हें लखपति बना दिया. चंद्रपाल का कहना है कि पूरा-परिवार अचार के व्यवसाय पर निर्भर है. आज की तारीख में न वो बेरोज़गार हैं, न ही उनके बच्चे बेरोज़गार हैं. सभी आत्मनिर्भर हैं. अचार ने उन्हें आत्मनिर्भर बना दिया है. पुराने दिनों को याद करते हए चंद्रपाल कहते हैं कि कभी उन्हें दिनभर की मेहनत का दो सौ तीन सौ रुपया मिलता था लेकिन आज वो खुद दूसरों को रोज़गार देने वाले हो गए हैं.

दिहाड़ी मज़दूरी से लखपति बने चंद्रपाल की तरह मेरठ के खादी उत्सव में आए कई अन्य ने भी अपनी किस्मत बदली है. किसी ने सरसों के तेल का कारोबार कर अपनी किस्मत बदली तो किसी ने गन्ने से कामयाबी की इबारत लिखी है. एक शख्स ने तो अपने गुड़ का इतना ख़ूबसूरत नाम दिया कि सिर्फ नाम से ही लोग उनकी दुकान पर खिंचे चले आते हैं. इस शख्स ने अपने गुड़ का नाम गन्ना जी दिया है. गुड़ का कारोबार करने वाले किसान का कहना है कि गन्ना जी नाम देने को लेकर उनका तर्क बस इतना है कि गन्ने को इज़्जत देनी है. इसलिए सिर्फ गन्ना नहीं गन्ना जी बोलिए.
.Tags: Meerut news, Success Story, UP newsFIRST PUBLISHED : January 9, 2024, 23:32 IST

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