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Success Story : साल 1947 में ब्रिटिश उपनिवेशवाद से आजादी मिलने के बाद पूरा देश जश्न में डूबा हुआ था. हर किसी की आंखों में सुनहरे भविष्य के सपने तैर रहे थे. लेकिन उस वक्त देश के नीति निर्माताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती 562 रियासतों बंटे देश के एकीकरण की चुनौती थी. इसका जिम्मा देश के उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के कंधे पर था.

लेकिन उस वक्त के राजाओं को अपनी रियासत का विलय भारत संघ में करने के लिए मनाना आसान नहीं था. कई बिगड़ैल और ताकतवर राजा आजादी के सपने देखने लगे थे. इस स्थिति से निपटने में सरदार वल्लभ भाई पटेल का जिस व्यक्ति ने साथ दिया, उसका नाम था वाप्पला पंगुन्नि मेनन यानी वीपी मेनन. जो उस वक्त भारत सरकार के सचिव थे.

पीसीएस अधिकारी थे वीपी मेनन

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वीपी मेनन एक प्रोवेंशियल सिविल सर्विस ऑफिसर थे. उन्होंने PCS सर्विस 1914 में ज्वाइन की. इसके बाद साल 1933-34 में सुधार कार्यालय में भारत सरकार के असिस्टेंट सेक्रेटरी के पद पर काम किया. इसके बाद वह 1941-42 में भारत सरकार के संयुक्त सचिव बने. मेनन अपनी मेहनत के बल पर ब्रिटिश भारत में सबसे ऊंचे भारतीय अफसर बने. वह भारत के गवर्नर जनरल के सचिव और आजादी के बाद कैबिनेट सेक्रेटरी बने.

सरदार पटेल ने दी रियासतों के विलय की जिम्मेदारी

वीपी मेनन को सरदार पटेल ने रियासतों के विलय की जिम्मेदारी दी थी. मेनन की जिम्मेदारी रियासतों को भारत संघ में विलय के लिए तैयार करना था. वह सरदार पटेल के दाहिने हाथ की तरह थे. वह लगातार दो साल तक राजघरानों को रियासतें विलय करने के लिए मनाने में जुटे रहे.

वीपी मेनन के पिता थे हेड मास्टर

वीपी मेनन के पिता चुनंगड शंकर मेनन एक हेड मास्टर थे. उन्होंने रेलवे स्टॉकर, कोल माइनर और बैंगलोर टोबैको कंपनी में क्लर्क के रूप में काम किया था. वीपी मेनन ने दो शादियां की थी. जिनसे तीन बच्चे थे. उनकी मृत्यु 75 साल की उम्र में हुई थी.

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.Tags: Sardar Vallabhbhai Patel, Success StoryFIRST PUBLISHED : June 05, 2023, 04:55 IST

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