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नई दिल्ली (Kinjal Singh IAS Success Story). उत्तर प्रदेश के बलिया की रहने वाली दो बहनों की जिंदगी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है. उनके संघर्ष की कल्पना भी कर पाना आसान नहीं है. पिता पुलिस में थे, एक मुठभेड़ के दौरान उन्हीं की टीम के पुलिसकर्मियों ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया (DSP KP Singh). मां के साथ दर-दर भटक कर न्याय की आस लगाई.

बीच सफर में मां की भी मौत हो गई. अपने दम पर बहनों ने पढ़ाई पूरी की. यूपीएससी परीक्षा पास की. सरकारी अफसर बनकर पिता की मौत का बदला लिया और उन्हें न्याय दिलाया. आईएएस किंजल सिंह और आईआरएस प्रांजल सिंह की संघर्ष से भरी दास्तां किसी को भी मोटिवेट कर सकती है. डिटेल में पढ़ें दोनों बहनों की सक्सेस स्टोरी. किंजल सिंह फिलहाल यूपी में चिकित्सा शिक्षा विभाग की महानिदेशक हैं.

पिता की गोली मार हुई हत्याकेपी सिंह डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस के पद पर कार्यरत थे. उनके सहयोगियों ने उत्तर प्रदेश के गोंडा में एक फर्जी मुठभेड़ में उनकी हत्या कर दी थी. उस समय उनकी पत्नी विभा सिंह अपनी दूसरी बेटी के साथ गर्भवती थीं. तब उनकी बड़ी बेटी किंजल सिंह सिर्फ 2 साल की थीं. डिलीवरी के बाद विभा सिंह अपने पति को न्याय दिलाने के लिए पुलिस थानों और कोर्ट के चक्कर काटने लगीं.

सुप्रीम कोर्ट तक का खटखटाया दरवाजाकेस चलता रहा और उसी बीच विभा सिंह को पति की जगह पर वाराणसी के ट्रेजरी ऑफिस में नौकरी मिल गई थी. केस सीबीआई को ट्रांसफर किया जा चुका था. विभा सिंह दोनों बेटियों को गोद में लेकर दिल्ली स्थित सीबीआई कोर्ट जाती थीं. उनकी सैलरी का बड़ा हिस्सा ट्रैवल और वकील की फीस में खर्च होने लगा. उन्होंने तभी ठान लिया था कि वह अपनी बेटियों को सरकारी अफसर बनाएंगी.

किंजल ने दिल्ली से की पढ़ाई12वीं पास करने के बाद किंजल सिंह ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज में एडमिशन ले लिया था. ग्रेजुएशन के पहले सेमेस्टर में ही उन्हें पता चला कि उनकी मां को कैंसर है. जब उनकी मां, विभा सिंह की तबियत ज्यादा खराब रहने लगी तो किंजल ने उनसे वादा किया कि वह आईएएस अफसर भी बनेंगी और पिता के हत्यारों को सजा भी दिलवाएंगी. साल 2004 में उनकी मां ने दम तोड़ दिया.

पूरा किया मां का सपनामां विभा सिंह की मौत के बाद किंजल ने अपनी बहन प्रांजल सिंह को भी दिल्ली बुला लिया. दोनों बहनों ने पढ़ाई के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की. साल 2008 में अपने दूसरे प्रयास में 25वीं रैंक के साथ किंजल सिंह आईएएस अफसर बन गईं. उसी साल उनकी बहन का चयन IRS के लिए हो गया. सरकारी नौकरी मिलने के बाद दोनों बहनें अपने पिता को न्याय दिलाने में जुट गईं.

31 साल बाद मिला न्यायसरकारी अफसर बनने के बाद किंजल सिंह ने अपना ध्यान पिता को न्याय दिलाने पर केंद्रित कर दिया. दोनों बहनों ने मजबूती से मुकदमा लड़ा. उनके दृढ़ निश्चय ने न्याय प्रणाली को हिला कर रख दिया. आखिरकार 31 साल बाद 5 जून 2013 को लखनऊ CBI की विशेष कोर्ट ने डीएसपी केपी सिंह की हत्या में 18 पुलिसकर्मियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई. तब किंजल सिंह बहराइच की डीएम थीं.

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CBSE बोर्ड की बड़ी खबर! 10वीं, 12वीं में नहीं मिलेगी कोई रैंक या डिवीजन
.Tags: IAS Officer, Motivational Story, Success StoryFIRST PUBLISHED : December 3, 2023, 14:44 IST

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