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प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को मथुरा श्री कृष्ण जन्म भूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़ी अर्जियों पर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट में दोपहर 2:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक लगभग दो घंटे बहस हुई. हिंदू पक्ष की ओर से बहस अभी पूरी नहीं हुई है. लिहाजा हाईकोर्ट में मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी. गुरुवार को दोपहर दो बजे से जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई होगी. मुस्लिम पक्ष की ओर से आर्डर  7 रूल्स 11 के तहत मुकदमे की पोषणीयता की आपत्ति अर्जी पर बुधवार को बहस हुई.

मुकदमे की पोषणीयता के बिंदु पर अधिवक्ता राजेंद्र माहेश्वरी, रमा गोयल बंसल और अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने दलीलें पेश की. हरि शंकर जैन की बहस गुरुवार को भी जारी रहेगी. सुनवाई के दौरान 1968 में समझौते के प्रश्न पर मुस्लिम पक्ष के तर्कों के उत्तर में हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि समझौते में मूर्ति पक्ष नहीं थी और न ही 1974 में पारित अदालती डिक्री में. समझौता श्री कृष्ण जन्म सेवा संस्थान द्वारा किया गया, जिसे किसी भी समझौते में शामिल होने का अधिकार नहीं था. संस्थान का उद्देश्य केवल रोजमर्रा की गतिविधियों का प्रबंधन करना था और उसे इस तरह का समझौता करने का कोई  विधिक अधिकार नहीं था.

मुकदमा मियाद अधिनियम यानि लिमिटेशन एक्ट से बाधितइससे पहले तस्लीमा अजीज अहमदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बहस में कहा था कि मुकदमा मियाद अधिनियम यानि लिमिटेशन एक्ट से बाधित है. उनके मुताबिक पक्षकारों ने 12 अक्टूबर 1968 को समझौता किया था और कहा था कि 1974 में तय किए गए एक दीवानी मुकदमे में समझौते की पुष्टि की गई है. समझौते को चुनौती देने की सीमा तीन साल है लेकिन मुकदमा 2020 में दायर किया गया है और इस प्रकार यह मुकदमा मियाद अधिनियम से बाधित है. हिंदू पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि मुकदमा विचारणीय है, विचारणीय न होने संबंधी याचिका पर प्रमुख साक्ष्यों के बाद ही निर्णय लिया जा सकता है.

ज्ञानवापी मामले में पारित फैसले का भी किया उल्‍लेखयह भी कहा गया कि इस मामले में पूजा स्थल अधिनियम 1991 के प्रावधान लागू नहीं होंगे. 1991 के अधिनियम में धार्मिक चरित्र को परिभाषित नहीं किया गया है. स्थान/संरचना का धार्मिक चरित्र केवल साक्ष्य द्वारा तय किया जा सकता है, जिसे केवल सिविल कोर्ट द्वारा तय किया जा सकता है. इसके लिए ज्ञानवापी मामले में पारित फैसले का भी उल्लेख किया गया, जहां अदालत ने माना था कि धार्मिक चरित्र का फैसला केवल सिविल कोर्ट द्वारा किया जा सकता है.

गुरुवार को आपत्तियों का जवाब दाखिल करेंगे आशुतोष पांडेयबुधवार को सुनवाई के दौरान आशुतोष पांडेय व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए. उन्होंने प्रतिवादियों द्वारा पेन ड्राइव को अस्वीकार करने की अर्जी पर आपत्ति प्रस्तुत की, जिसे रिकॉर्ड पर लिया गया है. इसकी प्रतिलिपि प्रतिवादियों के अधिवक्ताओं को दी गई. वाद संख्या चार में वादी संख्या तीन से पांच के अधिवक्ता विनय शर्मा ने आपत्तियों का जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा. कोर्ट ने उन्हें गुरुवार को जवाब दाखिल करने को कहा. वाद संख्या 13 पर वादी के लिए अधिवक्ता राजेंद्र माहेश्वरी और रमा गोयल बंसल ने बहस की.

हाईकोर्ट में अभी मुकदमों की पोषणीयता पर ही सुनवाईबाद संख्या नौ में वादी के लिए अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने अपने तर्क प्रस्तुत किए. अधिवक्ता तस्नीम अहमदी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से और एमिकस क्यूरी मनीष गोयल, नसीरुज्जमां, हरे राम त्रिपाठी, प्रणव ओझा, तनवीर अहमद और मोहम्मद अफजल भी मौजूद रहे. गौरतलब है कि हाईकोर्ट में अभी मुकदमों की पोषणीयता पर ही सुनवाई चल रही है. मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल अर्जियों को खारिज करने की मांग की है.मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हो चुकी है. मुस्लिम पक्ष ने अभी तक मुख्य रूप से 1991 के प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट, वक्फ एक्ट, स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट और लिमिटेशन एक्ट का हवाला देकर हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की दलील दी है.
.Tags: Allahabad high court, Allahabad High Court Order, Allahabad news, Lord krishna, Mathura Krishna Janmabhoomi Controversy, Mathura temple, Prayagraj, Prayagraj Court, Prayagraj Latest News, Prayagraj Special CourtFIRST PUBLISHED : May 1, 2024, 22:20 IST

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