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वाराणसी. श्रम साधक संत रविदास का गांव सीर गोवर्धन रैदासियों का मक्का है. उनके जयंती पर दुनिया भर से रैदासी यहां दर्शन को आते हैं. यहां उनका मंदिर ही नहीं, बल्कि सैकड़ों साल पुराना वो इमली का पेड़ भी आस्था का केंद्र है जहां कभी संत रविदास बैठकर सत्संग करते थे. यही वजह है कि रविदास जयंती पर लाखों भक्त यहां आकर मत्था टेकते हैं और यहां की माटी को तिलक के रूप में सिर पर लगाते है. ट्रस्ट से जुड़े हरदयाल सिंह ने बताया कि इस स्थान पर संत रविदास ने सत्संग के साथ लोगों को उपदेश भी दिया था. इस पेड़ में कलावा बांधने से श्रद्धालुओं की सभी मन्नतें पूरी होती हैं.उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि आज भी अदृश्य रूप में संत रविदास की शक्ति यहां है. ऐसे में जो भी भक्त सच्चे मन से यहां मत्था टेकता है और इस पेड़ से गिरी पत्तियों का सेवन करता है उसे रोगों से मुक्ति मिलती है.वहीं, मंदिर के ट्रस्ट से जुड़े लोगों के मुताबिक, जब इस गांव में मंदिर की नींव रखी गई थी तो यह पेड़ सूख चुका था. लेकिन, लगातार उसकी जड़ों में पानी दी गई तो यह ऐतिहासिक पेड़ से फिर हरा-भरा हो गया. यह आज रैदासियों के आस्था का केंद्र बन गया है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : February 03, 2023, 17:15 IST

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