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सौरव पाल/मथुराः ब्रज भूमि एक ऐसा स्थान है जो सभी की कृष्ण की लीलाओं और उसकी भक्ति के लिए आकर्षित करती है. ब्रज में हर वो भक्त आना चाहता है जो भगवान कृष्ण में आस्था रखता है. ऐसे ही एक भक्त थे रसखान, जिन्होंने मुस्लिम धर्म के होने के बावजूद ऐसी कृष्ण भक्ति की उनका नाम आज भी कृष्ण कृष्ण के परम भक्तों में लिया जाता है.

रसखान दिल्ली से कृष्ण भक्ति में लीन हो कर अपने मोहन के दर्शन पाने के लिए ब्रज में चले आये थे. ब्रज में आने के बाद रसखान अपनी अंतिम सांस तक कृष्ण भक्ति में कई पद और दोहे लिखे, जिनकी जयंती पर उत्तर ल्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा एक संगीतमय नाटक का मंचन किया गया. जिसका निर्देशन NSD और BNU के पूर्व और गीता शोध संस्थान के नवनियुक्त डायरेक्टर रहे दिनेश खन्ना ने किया था.

रसखान की समाधि पर हुआ नाटक का मंचनदिनेश खन्ना ने बताया कि यह उनका सौभाग्य है कि रसखान जैसे परम भक्त के जीवन पर उन्हें रसखान जयंती के मौके पर इस नाटक को प्रस्तुत करने का मौका मिला. इस नाटक को सिर्फ 3 दिन की कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया गया है. साथ ही इस नाटक में संगीत राजेश जी ने दिया है जिससे एक नाटक में एक अलग ही ऊर्जा आई है.

युवाओं को दी जाएगी ट्रेनिंगउन्होंने बताया कि वह गीता शोध संस्थान के माध्यम से आगे भी कई इसी तरह के नाटक करने वाले है. साथ ही गीता सोढ़ संस्थान में जल्द ही शुरू होने वाले रास लीला के कोर्स के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इसके लिए भर्ती प्रक्रिया का दूसरा चरण अगले कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है. साथ ही इस कोर्स के माध्यम से उनका यह प्रयास भी रहेगा कि इस कोर्स को सीखने वाले बच्चों को उनकी विधा में ही काम भी मिले और एक अच्छा मानदेय भी मिले. इसके अलावा भी ब्रज के कई अन्य लोक विधाओं में युवाओं को ट्रेनिंग दी जायेगी.

.FIRST PUBLISHED : October 16, 2023, 21:51 IST

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