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दुनियाभर में बच्चों में डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत में भी यह चिंता का विषय बन गया है. पहले यह बीमारी केवल बड़ों में ही होती थी, लेकिन अब यह बच्चों में भी आम हो रही है.डरने की जरूरत इसलिए है कि यह बीमारी धीरे-धीरे पूरे शरीर को खोखला बना देती है.
शरीर में ब्लड शुगर बढ़ने से दूसरे अंगों पर भी असर पड़ता है. इसके कारण डायबिटीज को साइलेंट किलर भी कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं बच्चों में इस बीमारी के होने के पीछे की वजह जेनेटिक होने के साथ ही पेरेंट्स की गलतियां भी होती हैं. यहां आज हम आपको ऐसे ही कुछ गलतियों के बारे में बता रहे हैं-
बच्चों में डायबिटीज के लक्षण
अत्यधिक प्यास लगनाबार-बार पेशाब आनाअत्यधिक भूख लगनावजन कम होनाथकानधुंधला दिखनाधीमी गति से घाव भरना
बच्चों में डायबिटीज के कारण
आर्टिफिशियल शुगर का सेवन 
ज्यादातर माता पिता अपने बच्चों को कुकिज, कैंडी, पेस्ट्री जैसी चीजों खिलाते हैं. इससे बच्चों में डायबिटीज का खतरा बहुत बढ़ जाता है. दरअसल ऐसा इसमें मौजूद आर्टिफिशियल शुगर के कारण होता है.
अनहेल्दी फूड्स
शहरों में रहने वाले पेरेंट्स अपने बच्चों को जंक फूड, अनहेल्दी स्नैक्स और हाई कैलोरी फूड्स खाने से नहीं रोकते हैं. इससे डायबिटीज होने का जोखिम काफी बढ़ जाता है.
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शारीरिक गतिविधि में कमी 
ऐसे पेरेंट्स जो बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी का ध्यान नहीं रखते हैं उनके बच्चों में मोटापा और डायबिटीज का खतरा बहुत अधिक होता है. आजकल बच्चे ज्यादातर समय मोबाइल फोन, टीवी और वीडियो गेम खेलने में बिताते हैं, जिसके कारण उनकी शारीरिक गतिविधि कम हो गई है. 
जागरूकता की कमी 
कई बार माता-पिता को बच्चों में डायबिटीज जोखिम कारकों और इसके शुरुआती लक्षणों के बारे में पता नहीं होता है, जिसके कारण बच्चे को हाई शुगर के गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ जाता है.
बच्चों में डायबिटीज का जोखिम कम करने के उपाय
बच्चों को फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों से भरपूर आहार दें.
बच्चों को हर दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करने के लिए प्रोत्साहित करें.
बच्चों का वजन स्वस्थ सीमा में रखें.
बच्चों को हर रात 8-10 घंटे की नींद लेने के लिए प्रोत्साहित करें.
बच्चों का नियमित रूप से डायबिटीज के लिए जांच करवाएं.

​Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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