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रामपुर. समाजवादी पार्टी के मजबूत किले में से एक रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में जनता ने कमल खिला दिया है. बीजेपी प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने समाजवादी पार्टी के आसिम रजा को 42 हजार से अधिक मतों से पराजित किया. इसी के साथ समाजवादी पार्टी के मजबूत किले में कमल खिल गया है. समाजवादी पार्टी की उपचुनाव में हार के कई मायने निकाले जा रहे हैं. इस चुनाव में न केवल सपा की बल्कि आजम खान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी. उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान जमकर मुस्लिम और इमोशनल कार्ड खेला. अपने खिलाफ हुए मुकदमों से लेकर नवाब खानदान तक को घसीटा. आखिर में यहां तक कह दिया कि हरवाकर मेरे मुंह पर कालिख मत पोत देना. बावजूद इसके जनता ने सपा को नकार दिया.
दरअसल, रामपुर लोकसभा सीट पर मिली हार समाजवादी पार्टी के लिए आत्ममंथन का समय है. मतदान से पहले ही सपा नेताओं ने अपनी जीत का दावा कर दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जादू चला और सीट बीजेपी के झोली में आ गई. कहा तो यह भी जा रहा है कि बड़ी संख्या में मुसलमानों ने बीजेपी को वोट किया. आईए जानते हैं वे पांच बड़े कारण जिसकी वजह से सपा को मिली करारी शिकस्त.
अखिलेश यादव की प्रचार से दूरीरामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की दूरी को हार की एक बड़ी वजह मानी जा रही है. पूरे चुनाव के दौरान जहां बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और अन्य कई मंत्री मैदान में उतरे तो सपा चुनाव प्रचार की कमान स्थानीय नेताओं और विधायकों के हवाले थी. हालांकि स्टार प्रचारकों की लिस्ट में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश समेत 40 दिग्गज नेताओं के नाम थे, लेकिन कोई जमीन पर दिखाई नहीं दिया.
उम्मीदवार चुनने में आजम खान की ही चलीरामपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी चुनाव तो लड़ रही थी, लेकिन चेहरा सिर्फ और सिर्फ आजम खान और उनका परिवार था. पहले तो कहा जा रहा था कि आजम खान कि पत्नी तंजीन फात्मा चुनाव लड़ेंगी, लेकिन ऐन वक्त पर आजम खान ने अपने करीबी आसिम रजा को मैदान में उतार दिया. इस पर भी कहा जा रहा था कि आसिम रजा तो सिर्फ एक चेहरा हैं, असल में चुनाव तो आजम खान ही लड़ रहे हैं.
आजम खान की पकड़ हुई ढीली, इमोशनल कार्ड फेलहार के बाद चर्चा यह है कि रामपुर की सीट पर आजम खान की पकड़ ढीली हुई है, हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने जमकर इमोशनल कार्ड खेला. टाइगर इज बैक से लेकर कालिख मत पोतना जैसी बातें उनके द्वारा कही गईं, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया. एक बात और रही कि रामपुर की जनता एक ही परिवार की वजह से बार-बार चुनाव थोपने से भी नाराज दिखी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने प्रचार के दौरान भी इस मुद्दे को उठाया था. जीत के बाद जिस पर मुहर लगती दिखी. हालांकि इस बात पर सपा प्रत्याशी का कहना है कि आजम खान का जलवा बरकरार था, बरकरार है और बरकरार रहेगा.
मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिशपूरे प्रचार के दौरान समाजवादी पार्टी और आजम खान द्वारा मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश की गई. उन्होंने मुसलमानों को एकजुट होने और उनके हाथ को मजबूत करने की अपील भी की. बावजूद इसके बड़ी संख्या में मुस्लिम वोट बीजेपी के पक्ष में जाने की बात कही जा रही है. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबका साथ और सबका विश्वास की बात कही. उन्होंने कहा कि बिना भेदभाव सबको राशन और कोरोना की वैक्सीन दी. बुलडोजर की कार्रवाई को भी उन्होंने भुनाया. जिस पर जनता ने मुहर लगाई.
बसपा ने उम्मीदवार नहीं उताराबता दें कि रामपुर में मुसलमान वोटर्स के बाद बड़ी संख्या में दलित वोटर भी हैं. बसपा द्वारा प्रत्याशी न उतारे जाने पर यह दलित वोट भी बीजेपी के पक्ष में गया. सपा प्रवक्ता भुवन जोशी ने भी कहा कि हार की वजह बसपा रही है. उन्होंने कहा कि बसपा ने बीजेपी की बी टीम की तरह काम किया. अब मायावती को एनडीए में शामिल हो जाना चाहिए.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Akhilesh yadav, Azam Khan, Rampur news, UP newsFIRST PUBLISHED : June 26, 2022, 16:33 IST

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