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सौरभ वर्मा/रायबरेली. आधुनिकता के इस दौर में जहां लोग पुराने तौर तरीकों को भूलकर नए तरीके से खेती कर रहे हैं.साथ ही खेती में आधुनिक रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं. इससे न सिर्फ खेतों की उर्वरक क्षमता कम हो रही है. बल्कि रासायनिक फसलें हमारे स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रही हैं. वहीं रायबरेली में एक ऐसा किसान है, जो इस आधुनिकता के दौर में भी पुराने तौर तरीके से प्राकृतिक खेती करते हैं. इनके खेती करने का तरीका भी अलग है और यह अधिकतर फूल फल और सब्जियों की ही खेती करते हैं और काफी मुनाफा भी कमा रहे हैं.

बताते चलें कि रायबरेली जिले के थाना शिवगढ़ के अंतर्गत कासना गांव के रहने वाले किसान शेषपाल सिंह आज रसायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक खेती और जैविक खेती कर रहे हैं.जिससे वे साल भर में लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं.उनके खेती करने का तरीका आम किसानों से बिल्कुल अलग है.वह गाय के गोबर और गोमूत्र से बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने के चमत्कारिक रूप से काम कर रहे हैं.वह एक जागरूक प्रगतिशील एवं प्राकृतिक किसान हैं जिन्होंने जीरो बजट पर खेती करने के सिद्धांत को साबित कर अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं.

पहले करते थे गेहूं की खेतीकिसान शेषपाल सिंह ने बताया कि 2017 से पहले वह भी अन्य किसानों की तरह रासायनिक खेती करते थे.खेतों में रासायनिक खाद व कीटनाशकों का प्रयोग करते थे. 2017 में सुभाष पालेकर से प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लेने के बाद से वह सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि करने लगे.पहले सिर्फ धान गेहूं की खेती करते थे. लेकिन एसपीएनएफ (Subhash Palekar Natural Farming) में फसलों केअद्भुत परिणाम देखने के बाद सभी प्रकार के तिलहन पैदा करने लगे.

साथ ही उन्होंने बताया कि वह किसी भी प्रकार की रासायनिक खाद और दवा के अलावा बाहर के बीजों का भी प्रयोग नहीं करते हैं.केवल देसी गाय के गोबर और गौ मूत्र से लगभग 4 एकड़ खेती करते हैं.गाय के गोबर और गोमूत्र से ही जीवामृत एवं दवाएं बना कर उसी से खेती करते हैं.आगे उन्होंने बताया कि एक गाय से 4 एकड़ तक की खेती की जा सकती है. प्राकृतिक खेती के साथ ही पंच स्तरीय बागवानी तैयार की है.जिसमें उन्होंने आंवला अमरूद के साथ ही सहंजन और आम के पेड़ काफी कम समय में तैयार किए हैं.

जिला उद्यान अधिकारी केशव राम चौधरी नेबताया कि जिले में कई किसान ऐसे भी हैं जो अपनी परंपरागत खेती को छोड़कर प्राकृतिक खेती व बागवानी की खेती कर रहे हैं.जिससे वो अधिक से अधिक मुनाफा भी कमा रहे हैं.परंपरागत खेती की अपेक्षा प्राकृतिक खेती व बागवानी की खेती अधिक मुनाफे वाली होती है फिर चाहे वह फल,फूल या सब्जी हो या अन्य फसलें.जैविक फसलों का बाजार मूल्य अधिक होने के चलते किसान दोहरा मुनाफा कमा कर अपनी आय में बढ़ोतरी कर रहे हैं.वही परंपरागत खेती में फसलों का बाजार मूल्य कम होता है जिससे किसान अब उसे त्याग कर प्राकृतिक खेती व बागवानी की खेती की तरफ रुचि बढ़ा रहे हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Raebareli News, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : December 17, 2022, 11:32 IST

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