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सृजित अवस्थी/पीलीभीत: जिले मे टाइगर रिजर्व से सटे इलाकों में लगातार बाघों व तेंदुओं की चहलकदमी देखी जा रही है. बीते कुछ महीनों में मानव वन्यजीव संघर्ष की तमाम घटनाएँ भी देखने को मिली है. अब पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन जंगल में सर्वे कर ऐसे इलाकों को चिन्हित करेगा जिनमें बाघों की मौजूदगी नहीं है. आबादी में घूम रहे बाघों को यहां बसाने की कवायद शुरू की जाएगी.हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से बाघों की संख्या के आंकड़े जारी किए गए हैं. अगर पीलीभीत टाइगर रिजर्व की बात की जाए तो तकरीबन 73000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में स्थित 5 रेंज में 71 बाघों के विचरण करने के आंकड़े सामने आए हैं. पिछले सालों में हुई गणना के बाद ही माना जा रहा था कि बाघों की संख्या के लिहाज से जंगल में अनुकूल क्षेत्र की कमी है. यही कारण है कि आए दिन बाघ शिकार व टेरिटरी बनाने के लिए आबादी का रुख कर रहे हैं. आंकड़ों में भी 8 बाघों के जंगल के साथ ही साथ आबादी में रहने की पुष्टि की गई है. वहीं बीतें दिनों में हुई मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं.अधिकारी तलाशेंगे नई संभावनाएंआंकड़ों के सामने आने व बीते दिनों से लगातार बढ़ रही घटनाओं को लेकर अब अधिकारी भी संजीदा नजर आ रहे हैं. बीते दिनों हुई बैठक में अधिकारियों ने पीलीभीत टाइगर रिजर्व की माला रेंज में गढ़ा लालपुर कोरिडोर को विकसित करने की योजना बनाई थी. यह इलाका बड़ी बिल्ली प्रजाति (बाघ, तेंदुए आदि) के लिहाज से काफी अधिक महत्वपूर्ण है.इस कोरिडोर के साथ ही साथ अब अधिकारी डबलूडब्लूएफ व एनटीसीए के साथ जंगल में बाघों के लिए अनुकूल आशियानों को लेकर नई संभावनाएं तलाशने की कार्य योजना तैयार करने में जुटे हैं.पांचों रेंज का होगा सर्वेइसके तहत नए सिरे से जंगल की पांचों रेंजों में सर्वे कर बाघों के बढ़ते कुनबे के लिए टेरिटरी प्राकृतिक रूप से विकसित की जाएंगी.अधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि कोरिडोर के साथ ही अन्य नई संभावनाएं तलाशने की कवायद शुरू की गई है. साथ ही साथ तार फेंसिंग पर भी नए सिरे से रणनीति तैयार की जाएगी..FIRST PUBLISHED : August 01, 2023, 18:00 IST

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