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सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : पानी में उगने वाला एक जलीय पौधा जो पशुओं के लिए सर्वोत्तम आहार माना जाता है. इस पौधे में कई सूक्ष्म तत्व पाए जाते हैं. जो पशुओं की सेहत के लिए बेहद मुफीद हैं. इसमें शुष्क मात्रा के आधार पर 40-60 प्रतिशत प्रोटीन, 10-15 प्रतिशत खनिज एवं 7-10 प्रतिशत एमिनो अम्ल, जैव सक्रिय पदार्थ एवं जैव पोलिमर्स, इत्यादि पाये जाते है . इसमें कार्बोहाइड्रेट एवं वसा की मात्रा अत्यंत कम होती है . इसकी संरचना इसे अत्यन्त पौष्टिक एवं असरकारक पशु आहार बनाती है. पशुओं को ये पौधा खिलाने से दुधारू पशु के दूध में बढ़ोतरी होती है. खास बात यह है कि इसको उगाने के लिए नाम मात्र का खर्च आता है. कई जगह तो यह खुद भी आसानी से उग आता हैं.

कृषि विज्ञान केंद्र शाहजहांपुर के वैज्ञानिक डॉ एनपी गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि एक जलीय पौधा अजोला. जो तालाबों, झीलों और गड्ढों में ठहरे हुए पानी में अपने आप उग आता है. अजोला पशुओं को हरे चारे के तौर पर दिया जा सकता है. इसके अलावा मुर्गियों और मछलियों को भी यह खिलाया जाता है. डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि पशुओं को रोजाना अजोला खिलाने से 10 से 15 दिन के बाद दूध में काफी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. अजोला मछलियों को खिलाने से उनकी संख्या और उनका वजन भी जल्दी बढ़ेगा. वहीं अजोला अगर मुर्गियों को फीड के तौर पर दिया जाता है. उससे उनके अंडों की गुणवत्ता बेहतर होगी.

अजोला में पाए जाने वाले पोषक तत्वडॉक्टर एनपी गुप्ता ने बताया कि अजोला में सभी सूक्ष्म तत्व पाए जाते हैं. इसमें बोरान, आयरन और फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है. इसके अलावा पानी में उगने वाली  इस घास में शुष्क मात्रा के आधार पर 40-60 प्रतिशत प्रोटीन, 10-15 प्रतिशत खनिज एवं 7-10 प्रतिशत एमिनो अम्ल, जैव सक्रिय पदार्थ एवं जैव पोलिमर्स, इत्यादि पाये जाते है . इसमें कार्बोहाइड्रेट एवं वसा की मात्रा अत्यंत कम होती है.

फसलों के लिए भी रामबाण है अजोलाडा. एनपी गुप्ता ने बताया कि अजोला पशुओं के साथ-साथ फसलों के लिए भी उर्वरक के तौर पर काम करता है. उन्होंने बताया कि अगर धान की फसल में 10 से 15 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से डाल दें तो 20 दिन में नाइट्रोजन की आवश्यकता को पूरा करता है.

अजोला तैयार करने की विधिकृषि विज्ञान केंद्र शाहजहांपुर के वैज्ञानिक डॉक्टर एनपी गुप्ता ने बताया कि अगर आप अजोला को तैयार करना चाहते हैं. तो उसके लिए एक मीटर चौड़ी और 3 मीटर लंबी कंक्रीट की क्यारी बना लें. जिसकी गहराई करीब 1 फिट रखें. उसके बाद उसमें नीचे थोड़ी मिट्टी डालने के बाद उसमें पानी भर दें. 200 से 400 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट रासायनिक खाद पानी में डाल दें. इसके बाद इसमें अजोला स्वयं ही तैयार हो जाएगा. डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि इससे पहले दक्षिणी भारत में अजोला का प्रचलन था लेकिन अब उत्तरी भारत में भी इसकी काफी मांग बढ़ रही है.
.Tags: Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : January 5, 2024, 13:58 IST

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