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रिपोर्ट- विशाल झा

गाजियाबाद. जीवन में कई सारे उतार -चढ़ाव आते है. कई बार हम हार के गिव -उप कर देते है. और ऐसा करते ही हम भी उस भीड़ का हिस्सा बन जाते है जो जीवन में कुछ अलग नहीं कर पाते. लेकिन जो निरंतर कोशिश करते है, उसी हिम्मत साथ जिस हिम्मत के साथ वो पहली बार लड़े थे तों ऐसे लोग जरूर खुद कों इतिहास में अमर कर देते है. ऐसी ही कहानी है अभिनेता और मशहूर गीतकार पीयूष मिश्रा (Piyush Mishra ) की. News 18 Local आपके लिए एक विशेष इंटरव्यू लाया है. जिसमें पीयूष द्वारा अपने जीवन की कठिनाइयों से लड़ते हुए कैसे उन्होंने ये मुकाम हासिल किया ये बताया गया है.

कौन हैं पीयूष मिश्राप्रियाकांत शर्मा उर्फ पीयूष शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1963 में मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. 1986 में दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (National School of Drama ) से उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन पूरी की. 2002 में वो मुंबई गए और 2003 में उन्हें फिल्म मकबूल में काम मिला. गुजरते समय के साथ पीयूष खुद में लगातार बदलाव करते रहे और खुद कों पहले से बेहतर बनाते रहे. आज वो अभिनेता के साथ, एक लिरिकीस्ट, स्क्रीनराइटर, म्यूजिक कंपोजर, गायक भी है. 2004 में आयी फिल्म गुलाल में ‘आरंभ है प्रचंड’ ने इन्हें एक नई पहचान दिलाई. गैंग्स ऑफ वासेपूर में इक बगल भी चर्चा में बना रहा. अपने इसी संजीदा अभिनय, लेखन व गायन के जरिए उन्होंने दर्शकों के बीच अपनी एक अलग जगह बनाई है.

14 जनवरी को चंडीगढ़ से शुरू होगा…पीयूष मिश्रा अपने बैंड ग्रुप बल्लीमारान के साथ पूरे देश में विभिन्न शहरों में अपनी गायकी का जादू बिखेरेंगे. इनमें अलग -अलग राज्य शामिल है. आरंभ ऑल इंडिया टूर के माध्यम से वो लोग भी पीयूष को सुन पाएंगे जिन्हें उन्हें लाइव परफॉर्म करते देखना था. ये टूर 14 जनवरी चंडीगढ़ से शुरू होगा.इस पूरे टूर कों टैमबू के द्वारा आयोजित किया जा रहा है.

दिल्ली- एनसीआर से है खास लगावयू तों पीयूष का जन्म ग्वालियर में हुआ था पर दिल्ली ने उनके सपनो कों उड़ान दी. दिल्ली एनसीआर की जिंदगी कों उन्होंने करीब से जिया और समझा. कई बातों कों जो उन्हें एहसास हुआ उसकों उन्होंने अपने लेखन के जरिए भी दर्शाने की कोशिश की. दिल्ली से अपने उस रिश्ते कों पीयूष कभी नहीं भूल सकते.

Local 18 द्वारा पीयूष मिश्रा के संग इंटरव्यू के कुछ अंश आपके सामने पेश है.

Q: आपने कैसे खुद कों हमेशा मज़बूत बनाए रखा जब एक लंबे समय तक आपको ब्रेक नहीं मिला?

A : मेरे लिए काम बहुत जरूरी है. अगर मुझे कोई और काम नहीं रहता है तो मैं खुद के लिए काम करने लग जाता हूं. क्योंकि काम नहीं है तो जिंदगी नहीं है. मुझे अपने काम से बड़ा प्यार है. मैं नहीं जानता यह हिम्मत मुझे में कहां से आई, लेकिन एक हिम्मत जरूर थी अपने काम को लेकर.

Q : आपके मन में दिल्ली के लिए हमेशा से एक सॉफ्ट कॉर्नर रहा है. दिल्ली से जुड़ी अपनी यादों के बारे में बताइए

A : दिल्ली ने मुझे बहुत कुछ सिखाया. मेरा काफी समय वहां पर बीता. इसलिए मैं दिल्ली को कभी नहीं भूल पाता हूं. दिल्ली में भी मंडी हाउस क्योंकि मंडी हाउस में ही नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा स्थित है. नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की कार पार्किंग हो या आसपास की कोई चाय की दुकान उस सब मेरे जहन में हमेशा ताजा रहती है.

Q : आपको एक लंबे समय के बाद ब्रेक मिला. लेकिन जो आजकल युवा है उसमें संयम नहीं है वो हर चीज बहुत जल्दी बना जाता है पर आप क्या कहेंगे?

A: सफलता का कोई भी शॉर्टकट नहीं है. आपको थोड़ा धैर्य और संयम रखना ही होगा. जल्दी से पाई गई सफलता आपके साथ हमेशा नहीं रहती. इसलिए हर चीज थोड़ा टाइम मांगती है. आराम से कमाए और उसको संजोग के रखें तभी वो आपको सुकून देगी.

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