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झांसी. भूख (Hunger) की विवशता क्या होती है इसे देखना है तो नदियों River के किनारे जाइए. यहां कई लोग जलमग्न नदियों की सतह की मिट्टी को छानकर सिक्कों की तलाश करते मिल जाएंगे. जिस पहूज नदी (Pahuj river) को केंद्र सरकार की तत्कालीन जलशक्ति मंत्री उमा भारती ने गोद लिया था, उसमें गरीब महिलाएं दो जून की रोटी का इंतजाम करने के लिए सिक्के खोजती नजर आती हैं. ये अकेली नदी नहीं है, जहां इस तरह की तस्वीरें देखने को मिलती हैं. बुंदेलखंड की बेतवा से लेकर केन और मंदाकिनी तक गुरबत की ये तस्वीरें नजर आ ही जाती हैं.
पहूज नदी को साल 2014 में झांसी की सांसद और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने गोद लिया था. पहूज नदी के प्रति बुंदेलखंड के लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है. इस नदी में लोग मनोकामना मांगते हुए फूल के साथ सिक्के भी चढ़ाते हैं. यही कारण है कि आर्थिक परेशानियों के बीच लोग नदियों में उतरकर वहां मिट्टी छानते देखे जाते हैं. झांसी की पहुज नदी में ऐसी ही एक महिला पेट पालने के लिए नदी में उतरकर उन सिक्कों की तलाश कर रही थी.
इस महिला के साथ उसकी बेटी भी थी जो वहीं पास के कूड़े के ढेरों से कबाड़ जुटाती दिखी. नदी में सिक्के बीन रही महिला अपना नाम जमुना बताती है. जमुना कहना है कि उसके पति की मौत हो चुकी है. वह काफी सालों से झांसी में रहती है. महिला गरीबी का दंश झेल रही है.
न पैसा है न मजदूरी, क्या करें…
पहूज नदी के पानी में डूबे सतही किनारों की माटी छानती विधवा महिला जमुना कहती है, क्या करें..? आसानी से मजदूरी नहीं मिलती है. इधर उस जैसे गरीबों की ओर कोई भी ध्यान नहीं देता. जिस कारण उसे जो समझ में आता है वह करती है. अपनी बेटी के साथ यहां आती हूं. पानी में सिक्कों को थथोलती हूं. कबाड़ भी बटोर लेती हूं. पूरे दिन की जद्दोजहद के बाद लगभग 50-60 रुपए जुटाना मुश्किल होता है. परिवार ऐसे ही पल रहा है.
नदियों में सिक्कों की तलाश की आम है ये तस्वीर
बुंदेलखंड की लगभग सभी नदियों में यही नजारा दिख जाता है. वह नदियां जो आबादी से जुड़ी हैं या फिर वहां से आवागमन होता रहा है तो वहां लोग नदी के प्रति अपनी आस्था में चढ़ावा चढ़ाते रहते हैं. झांसी में बेतवा, पहूज, केन और मंदिकिनी जैसी नदियों से लोगों की गहरी आस्था है. यहां पूजा समग्री विसर्जन और चढ़ावा चढ़ाने का चलन है. यही कुछ गरीब परिवारों के लिए रोटी की उम्मीद भी है.
अवैध कब्जों से सिमट रही है पहूज
पहूज नदी के मिटते अस्तित्व को बचाने साल 2014 में झांसी की सांसद और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने इसे गोद ले लिया था. इसके प्रति बुंदेलखंड के लोगों की धार्मिक आस्था है. बावजूद इसके शहर भर का गन्दा पानी इसी नदी में प्रवाहित किया जाता है. इसके संरक्षण को लेकर प्रशासन बेफिक्र है, जिसके चलते झांसी में पहूज नदी के किनारे अवैध रूप से कॉलोनियां बन रही हैं. नदी के डूब क्षेत्र में भी लोग अतिक्रमण कर आवास निर्माण करा रहे हैं, जिन्हें रोक पाने में सिंचाई विभाग, नगर निगम, जिला प्रशासन और झांसी विकास प्राधिकरण पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है.

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