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Pak vs Eng t20 world cup final: पाकिस्तानी क्रिकेटर्स इन दिनों सुर्खियों में बने हुए हैं. ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर खेले जा रहे टी-20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान का उम्दा प्रदर्शन देखने को मिला है. पाकिस्तान के क्रिकेट ने सभी को चौंका दिया है. पाकिस्तानी क्रिकेटर्स से जुड़ा एक और मसला है जो लोगों को हैरान कर दिया. टीम के सभी क्रिकेटर्स ने खेल के मैदान पर धर्मयुद्ध सा छेड़ दिया है. टीम के लगभग सभी सदस्य अब तक मिली जीत का क्रेडिट सीधे ऊपर वाले को देते आ रहे हैं. पाकिस्तान के प्लेयर्स ही नहीं बल्कि नेता भी क्रिकेट को धर्म से जोड़कर देख रहे हैं. एक पाकिस्तानी नेता ने यहां तक कह दिया कि पाकिस्तान की जीत इस्लाम की जीत है. आइये आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं पाकिस्तानी क्रिकेटर्स के अंधविश्वास की कहानी.
देश के दिग्गज क्रिकेटर्स ने कभी नहीं किया ऐसा
आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि रांची में सात सौ साल पुराना देवी मां का मंदिर है. धोनी उनके भक्त हैं. क्रिकेट के गॉड सचिन की साईंबाबा में आस्था सबको पता है. दोनों के जीवन में कामयाबियों की, रिकॉर्ड्स की, मैन ऑफ द मैच और सीरीझ की कमी नहीं है. लेकिन क्या आपने दोनों को सारा क्रेडिट भागवान को देते सुना है. या फिर पॉन्टिंग, ब्रायन लारा या किसी और को सुना है? ये सब नास्तिक नहीं हैं. लेकिन जब क्रिकेट ग्राउंड पर आते हैं तो अपना धर्म अपनी आस्था बाहर रखकर आते हैं. क्रिकेट के अब तक के इतिहास में किसी इंडियन क्रिकेटर को मैदान के कोने में धूप अगरबत्ती लगाते या पिच पर  पाठ करते नहीं देखा, न जताते देखा गया है. न ही बीसीसीआई की कोई लाइन सुनी गई है कि खिलाड़ी सात दिन व्रत रख लें तो जीत पक्की है, कप पक्का है.
पाकिस्तान में सब मुमकिन!
लेकिन पाकिस्तान में सब मुमकिन है. रविवार को टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड से को मात देने के लिये पाकिस्तानी खिलाड़ी रोजा रख रहे हैं. ये भी कहा जा रहा है कि 92 में भी उन्होंने रोज़े रखे थे तभी वर्ल्ड कप की जीत नसीब हुई थी. ये सच है तो आप हैरान न हों. जो क्रिकेटर फाइनल तक पहुंचकर अपने कोच मैथ्यू हेडन का एक बार नाम न लें, उन्हें एक पैसे का क्रेडिट न दें, उनके लिये ये सब संभव है. 
बैट के साथ-साथ एजेंडा भी
कहते हैं क्रिकेट में मेहनत यानी कर्म की चलता है. कर्म हो तो फिर किस्मत भी साथ हो जाती है. लेकिन पाकिस्तान क्रिकेट में सबकुछ ऊपरवाले के हाथ में है. यहां बैट के साथ-साथ एजेंडा भी चलता है. तभी तो हिंदुओं से हारने पर उनका एक खिलाड़ी माफी मांगता है, तो कभी दूसरा सीना ठोक के कहता है कि हिंदुओं को हराकर उनके बीच नमाज पढ़ी. और तो और नेता-मंत्री भी ऐसे हैं जो एक मैच में जीत को टीम की नहीं, देश की नहीं बल्कि इस्लाम की जीत बताने लगते हैं.
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