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नई दिल्ली. झुकना और एक साथ कई लोगों का शपथ लेना इन दिनों सुर्खियों में है. यह दोनों क्रियाएं नई नहीं हैं. बड़ों के आगे झुकना हमारी सनातन सांस्कृतिक परंपरा का अंग है. इसी तरह किसी शुभ कार्य के लिए शपथ भी नई बात नहीं है. नया है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के आगे अत्यधिक विनम्र होना. इसी तरह से उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल (Uttar Pradesh Ministry) के सदस्यों के शपथ के लिए स्वतंत्र प्रभार वाले एक साथ दो-दो राज्यमंत्रियों को और अन्य अन्य राज्यमंत्रियों को एक साथ चार के समूह में शपथ दिलाई गई.
किसी के आगे झुक कर हम अपनी विनम्रता के साथ दूसरों को भी विनम्र बनने का प्रेरणा दे सकते हैं. हमारे वैदिक ज्ञान बताते हैं कि इससे आयु, यश और बल में वृद्धि हुआ करती है. लगे हाथों इसके वैज्ञानिक पक्ष पर भी चर्चा कर लें. माना जाता है कि मनुष्य के अंगूठे से शक्ति का संचार होता है. इसलिए प्रायः संत परंपरा में पैर छूते समय अंगूठों तक के स्पर्श को उचित बताया गया है. आज हमारी राजनीतिक दुनिया में अभिवादन के दौरान बड़ों के आगे अत्यधिक झुकने के उदाहरण देखे जा रहे हैं. दुर्भाग्य से इस तरह के आचरण पर विवाद ही अधिक हो रहा है.
मंच पर नीतीश कुमार ने PM मोदी का झुक कर अभिवादन किया
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम के मुताबिक गुरुत्व भार सदैव आकर्षित करने वाले की तरफ जाता है. मनुष्य के शरीर पर भी यही नियम लागू होता है. सिर को उत्तरी और पैरों को दक्षिणी ध्रुव माना जाता है. इस तरह गुरुत्व ऊर्जा हमेशा उत्तरी ध्रुव यानी सिर से प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव यानी पैरों की ओर प्रवाहित होकर अपना चक्र पूरा करती है. दक्षिणी ध्रुव पर असीमित मात्रा में स्थिर ऊर्जा का स्पर्श अर्थात चरण छूने से संबंधित व्यक्ति ऊर्जा प्राप्त करता है.
चरण स्पर्श तो नहीं, शालीनता पूर्वक झुकने का ताजा मामला बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का है. उन्होंने अतिशय सदाशयता दिखाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिवादन किया. इसके कुछ दिन पहले एक वीडियो वॉयरल हुआ था जिसमें कुछ पत्रकार लखनऊ में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की फिर से जीत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई देने पहुंचे थे. वहां कई पत्रकारों को योगी के सामने 60 से 90 डिग्री तक झुकते हुए अभिवादन करते देखा गया. हर तरफ इस पर चर्चा होने लगी. प्रायः मीडिया के लोगों को किसी के आगे झुकते अथवा औसत से अधिक आत्मीयता का प्रदर्शन करते नहीं देखा जाता. कहा जाता है कि इससे मीडिया निष्पक्ष बना रह सकता है. ना काहू से दोस्ती, न किसी से बैर वाली स्थिति बनाये रखी जा सकती है. इसके बावजूद कुछ पत्रकारों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रति इतना आदर क्यों दिखाया?
योगी आदित्यनाथ के आगे विनम्रता उस गुरु परंपरा को प्रणाम करने की तरह 
कुछ ने बाद में कहा कि योगी आदित्यनाथ एक संत हैं. वो पूर्वी उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत में श्रद्धा के केंद्र गोरक्षपीठ के महंत भी हैं. इस लिहाज से योगी आदित्यनाथ के आगे विनम्रता उस गुरु परंपरा को प्रणाम करने की तरह है, जिसने तरह-तरह के आडंबर का प्रतिरोध किया था. सवाल बना रहेगा कि ऐसे पत्रकार मित्र कितने अन्य गुरुओं के प्रति भी यही श्रद्धा भाव रखा करते हैं?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने झुकना जैसे राजनीतिक दुनिया में एक बड़ी घटना हो गई है. लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को तो लगता है कि जनता दल (युनाइटेड) बीजेपी के सामने आत्मसमर्पण ही कर रही है. आरजेडी के एक नेता ने कहा कि नीतीश कुमार ने धूल में मिट जाने पर भी बीजेपी में नहीं जाने का प्रण लिया था. मगर अब वो बीजेपी की धूल को सिर-माथे लगा रहे हैं. नीतीश कुमार सुलझे हुए नेता हैं, अच्छे रणनीतिकार भी माने जाते हैं. उन्होंने जिस तरह नरेंद्र मोदी के सामने विनम्रता दिखाई है, उसी भाव से अभी तक इस मसले पर वो चुप ही रहे हैं. संभव है कि कहा जाए कि एक मुख्यमंत्री का प्रधानमंत्री के प्रति यह सम्मान पहली बार तो नहीं है. इतिहास में प्रधानमंत्री के पुत्र और पार्टी महासचिव के चप्पल पहनाने वाले एक बुजुर्ग मुख्यमंत्री ने महासचिव को अपना भांजा बताते हुए अपने कार्य को उचित ठहराया था.
प्रधानमंत्री के प्रति मुख्यमंत्री के सम्मान को गलत कैसे ठहराएंगे?
ऐसे में अपने से श्रेष्ठ यानी प्रधानमंत्री के प्रति मुख्यमंत्री के सम्मान को गलत कैसे ठहराएंगे. जहां तक एक साथ दो से चार मंत्रियों को शपथ दिलाने की बात है, यह भी पहली बार नहीं हुआ. उत्तर प्रदेश से पहले कई राज्यों में ऐसा हुआ, जब मुख्यमंत्री को शपथ दिलाकर राज्यपाल ने मंत्रियों को एक साथ शपथग्रहण कराया. लेखक की स्मृति में राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण का चरण सिंह मंत्रिमंडल का शपथग्रहण समारोह भी है. तब प्रधानमंत्री के बाद अन्य मंत्रियों ने एक साथ ही शपथग्रहण किया था. होता यह है कि कई पुरानी बातें याद न रहें, तो कुछ अलग देखकर हम या तो चौंक उठते हैं अथवा उसे आलोचना के केंद्र में ले लेते हैं.

दुनिया में सभी चीजें गुरुत्वाकर्षण के नियम से बंधी हैं. साथ ही गुरुत्व भार सदैव आकर्षित करने वाले की तरफ जाता है. हमारे शरीर पर भी यही नियम लागू होता है. सिर को उत्तरी ध्रुव और पैरों को दक्षिणी ध्रुव माना गया है. इसका मतलब यह हुआ कि गुरुत्व ऊर्जा या चुंबकीय ऊर्जा हमेशा उत्तरी ध्रुव से प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव की ओर प्रवाहित होकर अपना चक्र पूरा करती है. यानी शरीर में उत्तरी ध्रुव (सिर) से सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव (पैरों) की ओर प्रवाहित होती है. दक्षिणी ध्रुव पर यह ऊर्जा असीमित मात्रा में स्थिर हो जाती है. पैरों की ओर ऊर्जा का केंद्र बन जाता है. पैरों से हाथों द्वारा इस ऊर्जा के ग्रहण करने को ही हम ‘चरण स्पर्श’ कहते हैं.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

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