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FIFA World Cup 2022: फीफा वर्ल्ड कप 2022 की धमाकेदार शुरुआत कतर में हो चुकी है. पहले मैच में इक्वाडोर ने कतर को 2-0 से पटखनी दी. फीफा वर्ल्ड कप की शुरुआत 1930 में हुई थी. तब से यूरोप या अमेरिका की किसी टीम ने ही ट्रॉफी जीती है. एशिया और अफ्रीका टीमें कभी फीफा वर्ल्ड कप का खिताब नहीं जीत पाई हैं. इसकी कई वजहें हैं आइए जानते हैं, उनके बारे में. 
1. खराब स्ट्रक्चर
अफ्रीकी देशों में गरीबी ज्यादा है. अफ्रीकन देशों की इकॉनोमी का बहुत ही बड़ा हिस्सा खेल के अलावा दूसरे चीजों में खर्च हो जाता है. खेलों के लिए फंड ही नहीं बचता है. फुटबॉल के खिलाड़ियों, कोच, सपोर्ट स्टाफ और फुटबॉल एसोसिएशन के बीच सैलरी और बोनस को लेकर विवाद सामनें आते रहे हैं. इसके अलावा एशियाई टीमों में फुटबॉल के स्ट्रक्चर में कमी है. भारतीय उपमहाद्वीप में ज्यादातर लोग क्रिकेट को देखना पसंद करते हैं. फुटबॉल को उतनी तवज्जो नहीं दी जाती है. 
2. एडमिनिस्ट्रेशन की अनदेखी
अफ्रीकन और एशियाई देशों में फुटबॉल देखने वाली जो एडमिनिस्ट्रेशन है वह खिलाड़ियों के प्रति बहुत ही लचर है और फुटबॉल पर ध्यान ना देकर बोर्ड्स में राजनीति होती है. कई लोग या भ्रष्टाचार करते हैं या उन्हें अपने रोल का पता ही नहीं होता है. प्लेयर्स को फंड मुहैया नहीं कराए जाते हैं. फिर टीमें वर्ल्ड कप जैसी बड़ी स्टेज में अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम साबित होती हैं. 
3. अच्छे कोचों की कमी 
एशियाई देशों में फुटबॉल को लेकर उतना पैशन नहीं है, जितना दूसरे खेलों को लेकर है. इसी वजह से निचले स्तर पर भी फुटबॉल के बहुत ही कम टूर्नामेंट करवाए जाते हैं, उनकी वजह से ही अच्छे खिलाड़ी नेशनल और इंटरनेशनल टीमों में नहीं पहुंच पाते हैं. एशियाई और अफ्रीकन देशों के पास अच्छे कोचों की कमी है. जबकि उरुग्वे जैसे छोटे देश ने भी 2 बार फीफा वर्ल्ड कप की ट्रॉफी जीती हुई है. 
4. ब्राजील का है दबदबा
ब्राजील ने सबसे ज्यादा 5 बार फीफा वर्ल्ड कप की ट्रॉफी अपने नाम की है. वहीं, इटली और जर्मनी ने चार-चार ये खिताब अपने नाम की है. फ्रांस, अर्जेंटीना और उरुग्वे ने 2-2 के अलावा इंग्लैंड और स्पेन ने 1-1 बार यह ट्रॉफी जीती है. जबकि अफ्रीकन और एशियाई ट्रॉफी जीतना तो दूर फाइनल में पहुंचने के लिए संघर्ष करते हैं. 
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