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नवरात्रों में कन्नौज के इन प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या देखने को मिलती है. दूर-दराज से श्रद्धालु इन प्रमुख सिद्ध पीठ माता के मंदिर में दर्शन करने आते हैं. सिद्ध पीठ माता फूलमती मंदिर, माता क्षेमकली मंदिर, माता पथवारी देवी, माता कालका देवी, माता अन्नपूर्णा देवी, माता गोवर्धन देवी, माता शीतला के मंदिर है.(रिपोर्ट-अंजली शर्मा01 सिद्धपीठ फूलमती माता मंदिर में माता के स्नान किया हुआ नीर है चमत्कारी,सफेद दाग रोग सहित आंख रोग समस्या माना जाता अमृत.रेलवे स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर मकरंद नगर मार्ग पर बना हुआ है.02 कन्नौज बस स्टैंड से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर राजा जयचंद्र के किले के पास माता क्षेमकली मंदिर बना है. कहा जता है कि यहां आल्हा ऊदल सहित देवी शक्तियां आज भी आकाश मार्ग से इस मंदिर के दर्शन करने आती है. कई बार इस मंदिर में छत डलवाने की कोशिश की गई लेकिन वह अपने आप ही टूट जाती हैं.03 सिद्ध पीठ माता अन्नपूर्णा का मंदिर कन्नौज मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर तिर्वा क्षेत्र में बना हुआ है इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पर मंदिर प्रांगण की मिट्टी श्रद्धालुओं के लिए सोने के समान है यह मिट्टी श्रद्धालु अपने खेतों में और अपने रसोई घर में रखते हैं जिससे उनके खेतों में उपजाऊ क्षमता बढ़ती है और रसोई घर में कभी भी अन्य की कमी नहीं होती.04 सिद्ध पीठ शीतला माता का मंदिर कन्नौज के सियरमऊ गांव में यह मंदिर बना हुआ, यहां की मान्यता है कि ज्वार, अतिसार नेत्र रोग व असाध्य रोग ठीक होते हैं इस मंदिर का उल्लेख पद्म पुराण में भी किया गया है.05 कन्नौज के छिबरामऊ क्षेत्र में बना सिद्ध पीठ माता कालका देवी मंदिर बना हुआ है ऐसी मान्यता है कि यहां पर स्थापित माता की मूर्ति दिन में तीन बार रंग बदलती है दूर दराज क्षेत्रो से श्रद्धालु यहां पर माता के दर्शन करने व अपनी मान्यता पूरी होने की कामना करने आते हैं.06 कन्नौज बस स्टैंड से 7 किलोमीटर दूर मोहल्ला पटकाना में सिद्ध पीठ माता पथवारी देवी मंदिर बना हुआ है यहां की मान्यता है कि यहां पर लोग पुत्र प्राप्ति की मनोकामना लेकर आते हैं मनोकामना पूरी होने पर वह माता की विशेष पूजा भी करते हैं साथ ही पथवारी माता कन्नौज की रक्षा करने वाली माता के रूप में भी जानी जाती है.07 कन्नौज के जलालपुर पंवारा से जसोदा के बीच काफी ऊंचाई पर यह सिद्ध पीठ माता गोवर्धन्नी देवी का मंदिर बना हुआ है, मान्यता है कि गोबर से कन्या की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इस मंदिर का नाम गोवर्धनी माता पड़ा.अगली गैलरीअगली गैलरी

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