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हाइलाइट्समकर संक्रां‍ति पर गांवों में कई परंपराएं निभाई जाती हैं. दिलचस्‍प है कि ये परंपराएं घर की बहू ही निभाती है. नई दिल्‍ली. मकर संक्रांति के त्‍यौहार की हिंदू धर्म में विशेष मान्‍यता है. हर साल ही 14 जनवरी को मनाए जाने वाले इस त्‍यौहार को दान-पुण्‍य करने के लिए बेहद पवित्र माना जाता है. इस दिन गंगा-यमुना आदि नदियों में स्‍नान से लेकर तिल-गुड़, चना, रेवड़ी, मूंगफली, गजक, दाल चावल आदि दान करने का वर्षों पुराना रिवाज है लेकिन देश के बहुत सारे गांवों में मकर संक्रांति के दिन घर की बहुओं द्वारा आज भी कुछ ऐसी परंपराएं मनाई जाती हैं जो हैरान कर देती हैं. एक उत्‍सव की तरह होने वाली इन परंपराओं के लिए जोर-शोर से तैयारी की जाती है. कहा जाता है कि ये न केवल मकर संक्रांति के दिन बल्कि अगले साल आने वाली संक्रांति तक हर महीने की 14 तारीख को एक व्रत की तरह निभानी होती हैं.

सिर्फ बहुएं निभाती हैं ये परंपराएं 

Makar Sankranti Traditions: मकर संक्रां‍ति पर कई गांवों में रूठी सास को बहू बैंड बाजे के साथ मनाकर लाती है.

रूठी सास को मनाना: मकर संक्रांति के दिन इस परंपरा में बहू रूठी हुई सास को मनाती है. इसके लिए पहले से ही योजना तय होती है और सास रूठकर गांव के बाहर किसी कुएं, तालाब या सड़क के किनारे बैठ जाती है. फिर घर की बहू तिल-मूंगफली की गजक, लड्डू, कपड़े, श्रंगार का सामान और दक्षिणा लेकर अपने आस-पड़ौस की सहेलियों के साथ गीत गाती हुई सास को मनाने जाती है और सामान देकर, पैर दबाकर, नाचकर-गाकर सास की मान-मनौव्‍वल करके घर वापस ले आती है. हालांकि यह परंपरा सिर्फ संक्रांति के दिन ही निभाई जाती है.

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देवर की जेब भरना: इस परंपरा में भी मकर संक्रांति के दिन प्रण करके घर की बहू अपने पति के छोटे भाई यानि देवर के पेंट की जेब को मूंगफली, गजक, रेबड़ी, मेवा, फल आदि से भरती है. फिर हर महीने की 14 तारीख को अलग-अलग चीजों से जेब भरी जाती है. 11 महीनों तक इसे करने के बाद अगली मकर संक्रांति पर देवर को कपड़े, तिल-गुड़, गजक, मिठाई और आदि देकर संपूर्ण कर लिया जाता है.

Makar Sankranti Traditions: मकर संक्रांति पर सुबह अंधेरे में घर के बाहर झाडू लगाने से लक्ष्‍मी की कृपा मिलती है.

सड़क पर झाडू लगाना: यह प्रथा भी बहुओं के ही खाते में है. इसमें घर की बहू को घर के बाहर की सड़क पर सुबह अंधेरे में ही झाडू लगानी होती है. ऐसा साल भर तक रोजाना करना होता है. ये करने से घर में लक्ष्‍मी का वास होता है और पूरे साल भर धन-धान्‍य की संपन्‍नता आती है. इस परंपरा को शुरू करने के बाद घर की बहू अगले साल मकर संक्रांति पर दाल-चावल, तिल-गुड़, मूंगफली साड़ी कपड़े, सहित सारा सामान सफाई कर्मचारियों को दान करती है.

पति के पैर का अंगूठा धुलना: मकर संक्रांति पर एक परंपरा में घर कर बहू अपने पति के पैर का अंगूठा धुलती है. ऐसा उसे साल की हर 14 तारीख को करना होता है. इसके बाद अगले साल की संक्रांति पर बहू के मायके से गजक-मूंगफली, कपड़े, पैर के अंगूठे का चांदी का छल्‍ला आदि आता है और यह क्रिया संपूर्ण होती है.

छोटी बच्चियों का मुंह धुलना:  इसमें घर में मौजूद छोटी बच्चियों जैसे ननद की बेटी, जेठानी की बेटी आदि का मुं‍ह धुलना होता है. ऐसा रोजाना या हर महीने की 14 तारीख को करना होता है. उसके बाद अगले साल मकर संक्रांति पर बच्चियों को खाना खिलाकर नाक की सोने की बाली या कान में पहनने की बालियों सहित कपड़े, गजक आदि दान करनी होती है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Happy Makar Sankranti, Makar SankrantiFIRST PUBLISHED : January 13, 2023, 19:31 IST

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