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मंगला तिवारी/मिर्जापुर: कृषि क्षेत्र में किसानों को पारंपरिक खेती से आमदनी की समस्या होती है. ऐसे में किसानों के पास आज के समय में प्रयोग करने के लिए काफी विकल्प मौजूद हैं. इन्हीं में से एक औषधीय खेती का भी विकल्प है, जिसका प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है. इसके अलावा कोरोना के बाद से देश-दुनिया में हर्बल उत्पादों के मांग में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है.

इस वजह से देश के विभिन्न क्षेत्रों में किसान परंपरागत खेती के अलावा औषधीय और जड़ी-बूटियों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. इन औषधीय फसलों की खास बात यह है कि इनकी खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है. ऐसे ही मिर्जापुर जनपद में एक किसान हैं जो सतावर की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

पहले पारंपरिक खेती करते थे जर्नादन सिंह

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों आधुनिक खेती को लेकर ग्रामीण उत्साहित दिख रहे हैं. आधुनिक खेती से होने वाले लाभ से उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति में भी तेजी से सुधार हो रहा है. ऐसे ही एक किसान जनार्दन सिंह हैं, जो सिटी ब्लॉक के विरोही गांव के रहने वाले हैं. जनार्दन सिंह बताते हैं कि इससे पहले वो पारंपरिक खेती करते थे.

इसमें लागत बहुत ज्यादा आती थी लेकिन मुनाफा काफी कम होता था. जिसके बाद वो उद्यान विभाग गए जहां से उन्हें जिला उद्यान अधिकारी मेवा राम से औषधीय गुणों वाले सतावर की खेती के बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद उन्होंने एक एकड़ में सतावर की खेती की जो अब बढ़कर तीन एकड़ करने जा रहे हैं.

लागत कम लेकिन मुनाफा ज्यादा: किसान

किसान जनार्दन सिंह ने बताया कि सतावर की खेती हर किस्म की मिट्टी उपयुक्त होती है. लेकिन लाल मिट्टी यानी पहाड़ी मिट्टी में इसका उत्पादन सबसे ज्यादा होता है. वो आगे बताते हैं कि इस पौधे में कांटा होता है जिससे इसको छुट्टा पशु भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. साथ ही इसके रोपण के बाद इसमें बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, इस वजह से लागत भी कम आती है. उन्होंने बताया कि जहां एक एकड़ में लगभग 50 से 60 हजार की लगती आती है तो वहीं उत्पादन के बाद 6 से 7 लाख रुपए की बचत भी होती है.

एक हजार रुपए किलो तक बिकता है सतावर

किसान जनार्दन सिंह ने बताया कि सतावर लगभग 16 महीने में पूर्णतया तैयार हो जाता है. इसमें सबसे खास बात यह है कि इसको किसान उसके बाद भी खेत में रख सकता है, खोदाई जरूरी नहीं है. यह फसल जितने ज्यादा दिन खेत में रहेगी पैदावार उतना ही ज्यादा होगा. वो आगे बताते हैं कि एक पौधे से 6 से 7 किलो सतावर निकलता है जो लगभग एक हजार रुपए किलो तक बिकता है. वहीं इसके मार्केटिंग को लेकर ज्यादा दिक्कत नहीं होती है. उन्होंने बताया कि लखनऊ में सतावर की मंडी लगती है जहां आसानी से बेचा जा सकता है. इसके अलावा व्यापारी खुद भी संपर्क भी करके फसल खरीद लेते हैं.
.Tags: Local18, Mirzapur news, UP newsFIRST PUBLISHED : September 06, 2023, 22:50 IST

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