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अभिषेक जायसवाल

वाराणसी. शनिवार 18 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. भोले की नगरी काशी में शिव भक्त उनके विवाह के उत्सव में डूबे हैं. काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत के आवास पर शिव-पार्वती के विवाह उत्सव का क्रम आज यानी गुरूवार से शुरू हो गया है. टेढ़ी नीम स्थित महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ के रजत विग्रह पर मंगल ध्वनि के बीच संध्या बेला में शिव भक्तों ने उन्हें हल्दी लगाई.

इस दौरान बाबा को ठंडई, पान और मेवे का भोग लगाया गया. पूरा महंत आवास मंगल गीतों की ध्वनि से गूंजायमान होता रहा. बता दें कि, बसंत पंचमी पर बाबा भोलेनाथ का तिलकोत्सव हुआ था. बाबा के हल्दी से पहले सायंकाल में उनका विशेष राजसी-स्वरूप में श्रृंगार हुआ जिसके बाद उनकी आरती उतारी गई. वहीं, दूसरी तरफ मंगल गीतों के बीच महिलाओं ने बाबा को हल्दी लगाई.

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पुरानी है परंपरा

काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने बताया कि काशी में भगवान शंकर के विवाह की सदियों पुरानी परंपरा है. इसी परंपरा के तहत यहां उनके विवाह की रस्में अदा की जा रही है. इस दौरान नृत्य संगीत के कार्यक्रम भी हुए. महंत आवास पर शिवांजली की शुरूआत नृत्य प्रस्तुति से हुई. फिर पारंपरिक कथक नृत्य के साथ इसका समापन हुआ.

महिलाओं ने लोक गित में पागल बाबा ने ‘पहिरे ला मुंडन क माला मगर दुल्हा लजाला… सुनाया. महिलाओं की टोली के द्वारा ‘दुल्हा के देहीं से भस्मी छोड़ावा सखी हरदी लगावा ना’ जैसे लोक गीत भी गाये गये.
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