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अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ. हुक्कू बंदर जिसकी एक झलक पाने के लिए देश के कोने-कोने से लोग लखनऊ के चिड़ियाघर आते थे. इसकी आवाज सुनने के लिए लोग उसको उसकी ही आवाज में चिल्ला-चिल्ला कर बाड़े के जाल पर बुलाते थे. आलम यह था कि इस बंदर के बाड़े के बाहर किसी बड़े बॉलीवुड अभिनेता के घर की तरह लोगों की भीड़ एक झलक पाने के लिए लगी रहती थी. उस हुक्कू बंदर की मृत्यु के बाद से चिड़ियाघर सुनसान हो गया है. अब हुक्कू बंदर के बाड़े में सन्नाटा पसरा रहता है.लखनऊ चिड़ियाघर के निदेशक वीके मिश्र ने बताया कि चिड़ियाघर में रौनक लाने के लिएप्रशासन पिछले 3 साल से देश के कोने-कोने मेंहुक्कू बंदर को तलाश रहा है. ताकि कहीं से भी एक हुक्कू बंदर लखनऊ चिड़ियाघर को मिल जाए. चिड़ियाघर प्रशासन की तलाश अब पूरी होने वाली है. उन्हें उम्मीद है कि असम चिड़ियाघर से सकारात्मक बातचीत चल रही है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो असम से हुक्कू बंदर जल्द लखनऊ चिड़ियाघर लाया जा सकेगा.2019 में हुक्कू बंदर ‘कालू’ हो गया था अलविदाबताते चलें कि हुक्कू बंदर ‘कालू’ की मौत 2019 में हो गई थी. कालू लखनऊ प्राणी उद्यान का इकलौता हुक्कू बंदर था. साल 2002 में उत्तराखंड से ही रानी नाम की मादा हुक्कू बंदर लाई गई थी. दोनों को एक साथ ही रखा गया था ताकि इनका कुनबा बढ़ सके लेकिन इनका कुनबा कभी नहीं बढ़ा.पांच साल बाद मादा की मौत हो गई, जिसके बाद से कालू खुद को काफी अकेला महसूस करता था और मादा की मौत से ही इनके कुनबे के बढ़ने की सारी उम्मीदें खत्म हो गई थीं. मृत्यु के वक्त कालू करीब 39 वर्ष का था. इसके बाद से अब तक चिड़ियाघर में कोई नया हुक्कू बंदर नहीं आया है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |FIRST PUBLISHED : September 26, 2022, 19:28 IST

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