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अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ. अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन से कैंसर हो सकता है. यही नहीं, लोग रेडिएशन, मोबाइल और कैंसर को एक साथ जोड़कर देखते हैं, लेकिन इस पर एक्सपर्ट की राय जानना बहुत जरूरी है. लखनऊ के कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर शरद सिंह ने बताया कि मोबाइल का इस्तेमाल कोविड-19 के बाद बढ़ गया है. अब लोगों के हाथों में एक नहीं बल्कि दो से ज्यादा मोबाइल फोन नजर आते हैं. लोग काफी हद तक मोबाइल पर निर्भर नजर आते हैं.

डॉक्टर शरद सिंह ने बताया कि कई तरह के रेडिएशन होते हैं जो आयोनाइजिंग रेडिएशन कहलाती हैं, जिससे कैंसर होता है. दरअसल यह रेडिएशन लोगों के शरीर के डीएनए को प्रभावित करता है. इसी वजह से कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मोबाइल की रेडिएशन नॉन आयोनाइजिंग रेडिएशन कहलाती है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि मोबाइल से कैंसर नहीं होता है. उन्होंने कहा कि मोबाइल से कैंसर होता है या नहीं, अभी इस पर लंबी रिसर्च की जरूरत है.

मोबाइल दे रहा कई बीमारियांडॉ. शरद सिंह ने बताया कि मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से मानसिक बीमारियां सामने आ रही हैं. लोगों में चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ रहा है. इसके अलावा रात में देर तक मोबाइल के इस्तेमाल से लोगों की नींद खराब हो रही है.दरअसल मोबाइल से निकलने वाली ब्लू रेडिएशन नींद को प्रभावित करती है. इसके अलावा भी मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से कई प्रकार की दिक्कतें लोगों को हो सकती हैं.

सोते समय ऑफ कर दें फोनकल्याण सिंह सुपर स्पेशिलिटी कैंसर संस्थान केरेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर शरद सिंह ने कहा कि रात में सोते वक्त मोबाइल को जितना खुद से दूर रखेंगे उतना ठीक रहेगा. उसका वाइब्रेशन आपको महसूस नहीं होगा, तो नींद खराब नहीं होगी. इसके साथ आपको किसी प्रकार का मानसिक विकार नहीं होगा.
.Tags: Cancer, Cancer Survivor, Health News, Lucknow news, MobileFIRST PUBLISHED : November 9, 2023, 17:30 IST

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