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अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ. अब आकाशीय बिजली को भी प्रिजर्व किया जा सकता है. उसका इस्तेमाल एनर्जी बनाने में किया जा सकता है. यही नहीं आकाशीय बिजली गिरने के एक से आधे घंटे पहले ही पता लगाकर वहां के लोगों को चेतावनी दे दी जाएगी ताकि वो किसी सुरक्षित स्थान पर जा सकें. इसके अलावा आकाशीय बिजली का रुख मोड़ने की दिशा में काम किया जाएगा. जैसे जिस क्षेत्र में आकाशीय बिजली गिरने वाली होगी उसका पता लगाकर उसकी दिशा बदलकर आबादी के क्षेत्र से दूर कहीं उसे गिराया जा सकेगा.

आकाशीय बिजली पर इतनी बड़ी दिशा में काम कर रहा है एकेटीयू, जिसने शुरुआत कर दी है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश मिलने के बाद. एकेटीयू पूरे देश भर में हैकथॉन चलाने जा रहा है, जिसमें आकाशीय बिजली को रोकने के लिए प्रारंभिक पहचान और चेतावनी प्रणाली विकसित करने और आगे के उपकरण बनाने पर जोर रहेगा. यह जानकारी डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने दी.

5 सितंबर तक आवेदन लिए जाएंगेकुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने बताया कि हैकथॉन में देशभर से आवेदन मांगे गए हैं, जो भी प्राकृतिक आपदा, चक्रवात और आकाशीय बिजली को कंट्रोल करने के लिए अपनी डिवाइस बना रहे होंगे या जो इस ओर रिसर्च कर रहे होंगे वो इसमें आवेदन कर सकते हैं. आवेदन 17 अगस्त से शुरू हो गए हैं. अंतिम तारीख 5 सितंबर है. इस हैकथॉन में जिसका भी आईडिया या डिवाइस पसंद की जाएगी उसमें विजेता को दो लाख रुपए दिए जाएंगे. प्रथम रनर आपको डेढ़ लाख रुपए दिए जाएंगे जबकि दूसरे विजेता को एक लाख रुपए दिए जाएंगे. वहीं सांत्वना पुरस्कार 50,000 रूपए का रखा गया है.

आकाशीय बिजली से लगातार हो रही हैं मौतेंइस दौरान उनके साथ मिलकर काम कर रहीं अदिति उमराव ने बताया कि उत्तर प्रदेश में बिजली गिरने की वजह से मौतों का आंकड़ा देखें तो 2019 में साढ़े तीन सौ, 2020 में 369, 2021 में 280, 2022 में 301 और 2023 में अभी तक 200 मौतें हो चुकी हैं. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा आकाशीय बिजली गिरने की घटना प्रयागराज, सोनभद्र और मिर्जापुर में होती हैं. उन्होंने बताया कि जब इस पूरे आंकड़े को देखा गया तो पता चला कि मरने वालों में उनकी संख्या ज्यादा है जो मॉनसून यानी बारिश के मौसम में खुले स्थानों पर मौजूद थे या जो किसी पेड़ के नीचे खड़े हुए थे इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार चाहती है कि इस तरह के मामलों पर अब रोक लगे. इसीलिए इस पूरे कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.

बड़ी सफलता मिलने की उम्मीद हैडॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने बताया कि इस दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाया गया है और यकीनन आकाशीय बिजली और चक्रवात रोकने की कोई न कोई तकनीक जरूर मिलेगी, जिसके जरिए इन्हें कंट्रोल करने में सफलता मिलेगी. यकीनन अगर यह प्रयोग सफल रहा तो पूरी दुनिया में देश की वाहवाही होगी और लोगों की जान भी इससे बचाई जा सकेगी.
.Tags: Local18, Uttarpradesh news, लखनऊFIRST PUBLISHED : August 17, 2023, 18:26 IST

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