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सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: खेतों से ज्यादा उत्पादन लेने के लिए किसान एक के बाद एक फसल करते रहते हैं. किसान खेतों को खाली नहीं छोड़ते और कई बार तो एक ही खेत में बार-बार एक ही फसल ली जाती है. जिसके चलते फसलों में रोग ज्यादा लगने लगते हैं. किसानों की लागत बढ़ जाती है और उत्पादन गिरने लगता है. इससे मिट्टी का स्वास्थ्य भी खराब होने लगता है. उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को फसल चक्र को जरूर अपनाना चाहिए. जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बरकरार रहे और उत्पादन बढ़े.उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक अधिकारी डॉक्टर प्रकाश यादव ने बताया कि जो किसान खेत में बसंत कालीन गन्ना करते हैं. उनको 2 साल पेड़ी लेने के बाद गेंहू की फसल करनी चाहिए. उसके बाद फिर हरी खाद खेत में उगानी चाहिए. तो वही जो किसान शरद कालीन गन्ना करते हैं उनको 2 साल पेड़ी लेने के बाद फिर गेहूं की फसल उगानी चाहिए. उसके बाद हरी खाद के रूप में ढेंचा की बुवाई की जाए. ढेंचा को खेत में जोतने के बाद उसमें फिर गन्ना किया जा सकता है. वैज्ञानिक अधिकारी डॉक्टर श्री प्रकाश यादव ने यह भी बताया कि जिन किसानों को बसंत कालीन गन्ना करना है. वह अभी अपने खेत में लाही उगा सकते हैं. लाही को काटने के बाद गन्ना बोएं.फसल चक्र अपनाने से क्या लाभ होता है?वैज्ञानिक अधिकारी डॉक्टर श्री प्रकाश यादव का कहना है की फसल चक्र अपनाने से मिट्टी की गुणवत्ता बरकरार रहती है और उत्पादन भी बढ़ता है. जो किसान फसल चक्र नहीं अपनाते हैं उनकी जमीन में जल धारण करने की क्षमता में गिरावट आने लगती है. इसके साथ ही ऑर्गेनिक कार्बन भी कम हो जाता है. वहीं एक ही खेत में बार-बार गन्ना करने से रेड रॉट और कंडुआ रोग भी फसल में लगने लगता है..FIRST PUBLISHED : November 8, 2023, 13:04 IST

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